हनी ट्रैप :: पाकिस्तान के लिए जासूसी , ब्रह्मोस मिसाइल के इंजीनियर निशांत को उम्रकैद की सजा

पाकिस्तान के लिए जासूसी , ब्रह्मोस मिसाइल के इंजीनियर निशांत को उम्रकैद की सजा
  • पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का मामला
  • जिला न्यायालय ने साइबर आतंकवाद में दोषी ठहराया
  • अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम. वी. देशपांडे ने सुनाया फैसला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला व सत्र न्यायालय ने सोमवार को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के अभियंता निशांत प्रदीप अग्रवाल (उम्र 32, निवासी नेहरू नगर, रूड़की, जिला हरिद्वार, उत्तराखंड) को साइबर आतंकवाद में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। आईटी कानून और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत निशांत को सजा सुनाई गई है। साथ ही 3 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम. वी. देशपांडे ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है।

पाक एजेंट से पूछताछ में मिले थे सुराग : उत्तर प्रदेश एटीएस ने निशांत को गिरफ्तार करने से कुछ महीने पहले आईएसआई एजेंट को हिरासत में लिया था। उससे पूछताछ में निशांत अग्रवाल का नाम सामने आया। इसकी सूचना मिलिट्री इंटेलिजेंस को दी गई। इसके बाद यूपी एटीएस और मिलिट्री इंटेलिजेंस की टीमें उसकी जानकारी जुटाने में लग गईं।

गिरफ्तारी के 7 महीने पहले हुई थी शादी : गिरफ्तारी के 7 महीने पहले यानी मार्च 2018 में निशांत की शादी हुई थी। निशांत मूल रूप से उत्तराखंड के रूड़की के रहने वाले हैं। वह कुरूक्षेत्र के एनआईटी से पासआउट हैं। वह चार साल से ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट में काम कर रहे थे। उन्होंने हाइड्रोलिक-न्यूमेटिक्स और वॉरहेड इंटीग्रेशन डिवीजन में 40 लोगों की एक टीम का नेतृत्व किया। 2017-18 में यूनिट ने उन्हें यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया था। वह ब्रह्मोस के सीएसआर, अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) समूह के भी सदस्य थे। घटना के समय, ब्रह्मोस नागपुर और पिलानी साइटों के परियोजनाओं की वह देख-रेख कर रहे थे।

यह है पूरा मामला : निशंात अग्रवाल ब्रह्मोस एयरोस्पेस की नागपुर शाखा में अभियंता थे। वह एक पाकिस्तानी महिला के साथ हनी ट्रैप में फंसे थे। निशांत पर गोपनीय जानकारी पाकिस्तान को पहुंचाने का आरोप था। उसके बाद उत्तर प्रदेश एटीएस ने 8 अक्टूबर 2018 को नागपुर से गिरफ्तार किया। उस समय, निशांत 2014 से ब्रह्मोस एयरोस्पेस, नागपुर इकाई में वरिष्ठ सिस्टम इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। वह उज्जवलनगर में किराए के मकान में रहते थे। इसी बीच निशांत को नेहा शर्मा और पूजा रंजन के नाम से फेसबुक रिक्वेस्ट मिली और वह हनी ट्रैप में फंस गए।

सोशल मीडिया अकाउंट से जॉब लिंक खोलने के बाद मैलवेयर उनके निजी लैपटॉप में चला गया। इसके आधार पर एटीएस को शक हुआ कि सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल की संवेदनशील गोपनीय जानकारी पाकिस्तान की आईएसआई तक पहुंची। 8 अक्टूबर 2018 को एटीएस की एक टीम ने सुबह-सुबह नागपुर में छापा मारा। ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्लांट जहां निशांत काम कर रहे थे, साथ ही उनके आवास पर भी छापा मारा गया। निशांत को गिरफ्तार कर लखनऊ ले जाया गया। निशांत कुछ दिनों तक उत्तर प्रदेश एटीएस और सैन्य खुफिया (एमआई) अधिकारियों की हिरासत में थे। 14 मार्च 2019 को यूपी एटीएस निशांत को नागपुर ले आई, तब से वह सेंट्रल जेल में थे। उन्हें पिछले साल जमानत पर रिहा किया गया था। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से एड. ज्योति वजानी ने पैरवी की।


हाई कोर्ट ने भी दिए थे आदेश : साढ़े पांच साल बाद जिला न्यायालय ने यह फैसला दिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने निशांत अग्रवाल को जमानत दी थी। साथ ही यह मामला जल्द से जल्द निपटाने के जिला न्यायालय को आदेश दिए थे।

Created On :   4 Jun 2024 5:35 AM GMT

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