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सख्त फैसला: आरोपी की पत्नी के नाम बैंक लॉकर के सील को खोलने की इजाजत देने से कोर्ट का इनकार
- बैंक से करोड़ों के कर्ज लेकर धोखाधड़ी करने वाली कंपनी के निदेशकों में व्यक्ति था शामिल
- अदालत ने माना-पति के धोखाधड़ी से इकट्ठा पैसे से गहने और ज्वेलरी के खरीदे जाने का अंदेशा
- सीबीआई मामले की कर रही है जांच
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुड़गांव निवासी हसनंद नानानी की पत्नी के नाम पर इंडसइंड बैंक के सील लॉकर को खोलने की इजाजत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता पति के धोखाधड़ी से इकट्ठा पैसे से खरीदी गई बहुमूल्य ज्वेलरी के लॉकर में सील होने का अंदेशा है। ऐसे में जांच एजेंसियों द्वारा मामले की जांच किए जाने की आवश्यकता है। अदालत ने विशेष सीबीआई अदालत की फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। याचिकाकर्ता बैंक से करोड़ों रुपए के कर्ज की धोखाधड़ी करने वाली कंपनी के निदेशकों में शामिल है।
न्यायमूर्ति श्याम सी.चांडक की एकलपीठ के समक्ष हरियाणा के गुड़गांव निवासी हसनंद नानानी की ओर से वकील राजीव पाटील की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है कि जब्त लॉकर में पड़े आभूषण और गहने अपराध होने से पहले खरीदे गए थे या फिर याचिकाकर्ता की पत्नी उचित आय अर्जित कर अपने लिए आभूषण और गहने खरीदे थे। सीबीआई के लिए इसका जांच कर पता लगाना जरूरी है। पीठ ने विशेष न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील राजीव पाटील ने दलील दी कि सीबीआई द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और 420 और धारा 13 (2) आर.डब्ल्यू के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(डी) के तहत याचिकाकर्ता को एफआईआर में आरोपी बनाया गया है। इस मामले में याचिकाकर्ता की पत्नी आरोपी नहीं है। जबकि सीबीआई ने इस मामले की जांच के दौरान याचिकाकर्ता की पत्नी नीलिमा नानानी के गुड़गांव स्थित इंडसइंड बैंक के लॉकर के अंदर मिली कीमती वस्तुओं की एक सूची तैयार की। इसके बाद लॉकर को सील कर दिया और उसकी चाबी अपने पास रख ली।
सीबीआई ने बैंक को निर्देश दिया कि सील लॉकर को किसी को भी खोलने या इस्तेमाल करने नहीं दिया जाए। याचिकाकर्ता द्वारा अदालत से अनुरोध किया गया कि जब याचिकाकर्ता की पत्नी का नाम एफआईआर में नहीं है, तो उसके नाम के बैंक लॉकर के सील को खोलने का निर्देश दी जाए। साथ ही विशेष सीबीआई अदालत के पिछले साल 31 जुलाई और इस साल 5 मार्च के आदेशों को रद्द करने का भी अनुरोध किया गया है, जिसमें विशेष न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के अपनी पत्नी के बैंक लॉकर के सील को खोलने की मांग के आवेदन को अस्वीकार कर दिया था।
Created On :   25 Aug 2024 7:18 PM IST