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3 नवंबर को बैठक: ओबीसी में अति पिछड़ों की स्वतंत्र श्रेणी बनेगी!
विनोद झाड़े , नागपुर । राज्य ओबीसी आयोग की अहम बैठक 3 नवंबर को नागपुर में होने जा रही है। बैठक में आयोग के अध्यक्ष न्या. आनंद निरगुड़े के साथ सभी 7 सदस्य मौजूद रहेंगे। अन्य पिछड़ा वर्ग (आेबीसी) में जो अति पिछड़ी जातियां हैं, जिनका सामाजिक व शैक्षणिक स्तर काफी कमजोर है, ऐसी जातियों को मुख्यधारा में लाने के लिए स्वतंत्र श्रेणी देने की तैयारी है। इन जातियों के लिए क्रीमीलेयर की शर्त भी हटाई जा सकती है। आयोग अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को भेजेगा।
अ, ब व क श्रेणी तैयार की जा सकती है : राज्य में आेबीसी में 350 जातियां शामिल हैं, जिनमें कुछ जातियां सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक रूप से मजबूत हैं। कुछ जातियां सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं। आरक्षण का लाभ इन अति पिछड़ी जातियों को मिल नहीं रहा। 3 नवंबर को रवि भवन में स्टेट आेबीसी कमिशन की बैठक में इन पिछड़ी जातियों के लिए स्वतंत्र श्रेणी तैयार की जाएगी। आेबीसी में अ, ब व क, इस तरह की श्रेणी तैयार की जा सकती है, ताकि आरक्षण का लाभ इन्हें मिल सके। इसी तरह इन जातियों के लिए क्रीमीलेयर की शर्त भी हटाई जा सकती है। आेबीसी के लिए वर्तमान में क्रीमीलेयर की सीमा सालाना 8 लाख है, जिसे बढ़ाकर 12 लाख की जा सकती है। आयोग ये सिफारिशें राज्य सरकार को भेजेगा।
ओबीसी का सर्वे : मुंबई में हाल ही में हुई केंद्रीय ओबीसी आयोग की बैठक में राज्य आेबीसी आयोग ने आेबीसी का सर्वेे करने की मांग की थी, जिसे केंद्रीय आयोग ने तत्वत: मान लिया है। हालांकि, इस बारे में सरकार की ओर से आदेश जारी नहीं हुआ है। आेबीसी के लिए राज्य में हर तीन साल बाद क्रीमीलेयर जरूरी होता है, जबकि केंद्र में हर वर्ष क्रीमीलेयर जरूरी है। राज्य आेबीसी आयोग ने दिल्ली में हुई बैठक में केंद्रीय आयोग के समक्ष यह मुद्दा उठाया। केंद्रीय ओबीसी आयोग राज्य की तरह 3 साल के लिए क्रीमीलेयर जरूरी करने की बात पर सकारात्मक है। ओबीसी में कुछ नई जातियां जोड़ने पर भी बैठक में चर्चा हो सकती है।
अति पिछड़ों पर होगा विचार : ओबीसी में कई जातियां ऐसी हैं, जो सामाजिक व शैक्षणिक रूप से अति पिछड़ी हैं। इन जातियोें को आरक्षण का लाभ मिले, इसलिए अ, ब, क, श्रेणी तैयार की जा सकती है। इनके लिए क्रीमीलेयर की शर्त भी हटाने पर विचार हो सकता है। वर्तमान क्रीमीलेयर सीमा बढ़ाकर 12 लाख करने पर विचार हो सकता है। आेबीसी के सर्वे कराने का आदेश अभी तक आयोग को नहीं मिला। -चंद्रलाल मेश्राम, सदस्य स्टेट ओबीसी कमिशन महाराष्ट्र राज्य
मराठा पर फंसा पेंच : कुणबी मराठा व मराठा कुणबी आेबीसी सूची में हैं। सभी मराठा को ओबीसी में शामिल किया, तो आेबीसी में पहले से शामिल 350 जातियों का हक मारे जाने का डर है। इसे देखते हुए आयोग मराठा के मुद्दे पर खुलकर कुछ करने की स्थिति में नहीं है। सरकार से जो आदेश मिलेगा, उसके अनुसार आयोग काम करेगा। हालांकि, आयोग यह मानता है कि, कुणबी मराठा व मराठा कुणबी की जाति वैधता के वक्त वंशावली में कोई ढील नहीं देनी चाहिए।
Created On :   25 Oct 2023 9:24 AM GMT