शिक्षा: मनोचिकित्सालय का पीजी कोर्स होगा सरकारी चिकित्सा कॉलेजों से संलग्न

मनोचिकित्सालय का पीजी कोर्स होगा सरकारी चिकित्सा कॉलेजों से संलग्न
  • नजदीकी कॉलेजों में मिलेगी शिक्षा
  • उपमुख्यमंत्री का संचालनालय को पत्र
  • जल्द शुरु होंगे नागपुर, पुणे, ठाणे व रत्नागिरी में पीजी कोर्स

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बढ़ती आबादी को देखते हुए सरकारी स्तर पर अनेक सुविधाएं तैयार की जाती है। लेकिन मनुष्यबल के अभाव में उन सुविधाओं का संचालन टेढ़ी खीर साबित होता है। हाल ही में राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संचालनालय को पत्र दिया है। इसमें राज्य के प्रादेशिक मनोचिकित्सालयों के पीजी (स्नातकोत्तर) कोर्स की शिक्षा स्थानीय नजदीकी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में देने को कहा गया है। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय को शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों से संलग्न करने को कहा गया है। इनमें नागपुर, पुणे, ठाणे व रत्नागिरी का समावेश है। नागपुर का प्रादेशिक मनोचिकित्सालय पहले से इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) से संलग्न है। इसलिए मेयो में मनोविकार शास्त्र का पीजी कोर्स शुरु है। राज्य के सभी मनाेचिकित्सालय स्थानीय सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों से जोड़े जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि भविष्य में विद्यार्थियों पीजी कोर्स पढ़ने का मौका शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में भी मौका मिलेगा। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चिकित्सा शिक्षा व संशोधन विभाग के संचालक को पत्र भेजा है।

राज्यभर में बढ़ेगी पीजी कोर्स की सीटें : मनोविकार शास्त्र में पीजी कोर्स के अलावा चारों प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में डिप्लोमा इन साइक्रियाटिक नर्सिंग और एमफील की भी सुविधा मिलनेवाली है। मनोरोगियों के उपचार में मनोविशेषज्ञ के साथ ही डॉक्टर्स भी महत्वपूर्ण होते हैं। नये निर्णय के बाद परिचारिकाओं के पद बढ़ने के आसार है। सूत्रों के अनुसार पुणे का येरवड़ा मनोचिकित्सालय बीजे मेडिकल कॉलेज से, ठाणे का मनोचिकित्सालय कलवा मेडिकल कॉलेज से, रत्नागिरी का प्रादेशिक मनोचिकित्सालय राजीव गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय से संलग्न किये जानेवाले है। वहीं नागपुर का प्रादेशिक मनोचिकित्सालय मेयो के अलावा भविष्य में मेडिकल के साथ संलग्न हो सकता है। यहां मनोविकार शास्त्र के पीजी कोर्स व साइक्रियाटिक नर्सिंग कोर्स शुरु होंगे। वर्तमान में राज्य के 25 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पतालों में मनोविकार शास्त्र के पीजी कोर्स की 68 से अधिक सीटें है। अब यह सीटें बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

महत्वाकांक्षी योजना अधर में अटकी : शहर के प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में एक महत्वाकांक्षी पाठ्यक्रम शुरु करने के लिए आठ साल पहले प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस प्रस्ताव पर अमल करने की मंजूरी के लिए छह साल लग गए। मंजूरी मिली, लेकिन अब इसे अंतिम चरण की मंजूरी का दो साल से इंतजार है। सवाल-जवाब के पत्रों में यह योजना अटक गई है। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में पीएसडब्ल्यू (साइक्रियाटिक सोशल वर्कर) विषय में एम फील पाठ्यक्रम शुरु करने की। सारी तैयारियां कर ली गई है, बावजूद इंतजार करना पड़ रहा है। आठ साल पहले सरकार के प्रतिनिधियों ने मनोचिकित्सालयों में मानसिक रोग विशेषज्ञों की संख्या का अध्ययन किया था। उस समय राज्य के चारों मनोचिकित्सालय में मानसिक रोग विशेषज्ञों की कमी पायी गई थी। इसे देखते हुए मानसिक रोग विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने पर निर्णय लिया गया था। उस समय यह बात सामने आयी थी कि पीएसडब्ल्यू (साइक्रियाटिक सोशल वर्कर) विषय में एम फील पाठ्यक्रम नहीं होने से विद्यार्थी शिक्षा नहीं ले पा रहे थे। इसलिए मानसिक रोग विशेषज्ञ तैयार नहीं हो पा रहे है।

सभी सुविधाएं, पदभरती की चाहिए मंजूरी : प्रादेशिक मनोचिकित्सालय नागपुर ने इस पाठ्यक्रम को शुरु करने के लिए तैयारी दिखाते हुए प्रस्ताव भेजा था। 2017 में प्रस्ताव भेजने के बाद इस पर तुरंत विचार नहीं किया गया। दो साल ऐसे ही निकल गए। इसके बाद कोरोनाकाल शुरु हुआ। कोरोनाकाल समाप्ति के बाद 2021 में पुणे की एक टीम ने मनोचिकित्सालय का दौरा किया। इसमें देखा गया कि मनोचिकित्सालय में पाठ्यक्रम शुरु करने के लिए सुविधाएं व संसाधन है या नहीं। सर्वेक्षण के बार सारी स्थिति सकारात्मक बतायी गई थी। मनोचिकित्सालय में सभी स्तर पर व्यवस्था सर्वोत्तम होने के कारण संतोष व्यक्त किया गया। मनोचिकित्सालय प्रबंधन ने पाठ्यक्रम शुरु करने के लिए क्लासरुम, लायब्रेरी, कार्यालय, सभागृह आदि तैयार कर लिये थे। पाठ्यक्रम शुरु करने के लिए 28 लाख रुपए की निधि प्राप्त हुई थी। इस निधि से ही पाठ्यक्रम शुरु करने के लिए सारी व्यवस्थाएं की गई है। पीएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम शुरु होने पर यहां साइकॉलॉजिस्ट, क्लिनिकल सॉइकॉलॉजिस्ट, साइकॉलॉजिस्ट नर्स, सोशल वर्कर आदि की शिक्षा दी जाएगी। मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित पाठ्यक्रम की शिक्षा देने वाला यह विदर्भ का सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा।

Created On :   14 Sept 2024 10:30 AM GMT

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