उठाई आवाज: उर्जा क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में एआईपीईएफ का यलगार, मांगों पर गौर न करने पर आंदोलन की चेतावनी

उर्जा क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में एआईपीईएफ का यलगार, मांगों पर गौर न करने पर आंदोलन की चेतावनी
  • 10 फीसदी इंपोर्टेड कोयला खरीदी की अनिवार्यता खत्म करने की मांग
  • नागपुर में हुई फेडरल कौंसिल की मीटिंग
  • बिजली सुधार बिल वापस लेने की मांग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आल इंडिया पॉवर इंजीनियरिंग फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने ऊर्जा क्षेत्र को बचाने का आह्वान करते हुए ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में यलगार करने की चेतावनी दी। एआईपीईएफ की शनिवार को नागपुर में हुई फेडरल कौंसिल की मीटिंग में निजीकरण के विरोध के साथ ही 10 फीसदी इंपोर्टेड कोयला खरीदने की अनिवार्यता खत्म करने की मांग की। नागपुर समेत बिजली सेक्टर से जुड़े देश भर के एक लाख इंजीनियरों का प्रतिनिधित्व करनेवाली एआईपीईएफ ने सरकार को बिजली सुधार बिल फिर से संसद में रखने के पहले गंभीरता से विचार करने की चेतावनी दी।

नागपुर के एक सभागार में हुई एआईपीईएफ की फेडरल कौंसिल मीटिंग में संगठन से जुड़े नागपुर समेत देश भर के पदाधिकारी शामिल हुए। फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे, सुनील ग्रोवर, पी. रत्नाकर राव, अशोक राव, दीपांकर बर्मन, सतीश शेलके, प्रसन्ना श्रीवास्तव, पी. एन. सिंह, कार्तिक दुबे आैर संजय ठाकुर ने इंजीनियरों को मार्गदर्शन किया। सभी वक्ताआें ने महावितरण, महापारेषण व महानिर्मिति के निजीकरण का विरोध, आेल्ड पेंशन योजना लागू करने, बिजली सुधार बिल वापस लेने, स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना रद्द करने व बंद पड़ी भर्ती प्रक्रिया पून: शुरू करने की मांग की। फेडरल कौंसिल मीटिंग में कुछ प्रस्ताव भी पारित किए गए। मीटिंग में एकसुर में यह निर्णय लिया गया कि अपनी मांगों के लिए आंदोलन किया जाएगा।

उद्योगपति को फायदा पहुंचाने इंपोर्टेड कोयले की खरीदी : एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने मीडिया से कहा कि देश भर के पावर सेक्टर को बचाने के लिए यह संगठन काम कर रहा है। निजीकरण कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। इंपोर्टेड कोयले की खरीदी की अनिवार्यता के माध्यम से उद्योगपति को फायदा पहुंचाया जा रहा है। इंपोर्टेड कोयला महंगा पड़ता है आैर इससे बिजली महंगी होती है। देश में कोयले की कोई कमी नहीं है। इसका सीधा बोड जनता पर पड़ता है। पावर सेक्टर के कर्मचारियों को आेल्ड पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। पांच बार बिजली सुधार बिल रखने का प्रयास हुआ अब सरकार ने इसे वापस ले लेना चाहिए। ऊर्जा क्षेत्र में रिक्त पदों को भरना चाहिए। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का संगठन विरोध करता है।

Created On :   17 Aug 2024 1:49 PM GMT

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