पक्षियों का संरक्षण: सारस संवर्धन के लिए वेटलैंड के लिए भंडारा जिले का मॉडल अपनाएं - हाई कोर्ट :

सारस संवर्धन के लिए वेटलैंड के लिए भंडारा जिले का मॉडल अपनाएं -  हाई कोर्ट :
  • विभागीय आयुक्त को उचित निर्देश जारी करने के आदेश
  • सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही
  • सारस के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेटलैंड की पहचान करना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में सारस पक्षियों के संवर्धन को लेकर सू-मोटो जनहित याचिका प्रलंबित है। नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा और गोंदिया जिले में सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेटलैंड (आर्द्रभूमि) की पहचान करना, दस्तावेज तैयार करने काम नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) इस शोध संस्थान द्वारा शुरू है। मामले पर हुई सुनवाई में न्यायालय मित्र एड. राधिका बजाज ने कोर्ट में सुझाव दिया कि भंडारा जिलाधिकारी द्वारा वेटलैंड का पुनर्स्थापन करने के लिए उठाए गए कदमों को अन्य जिलों जैसे चंद्रपुर और गोंदिया में समान कार्यान्वयन को प्रभावित करने के उद्देश्य से एक मॉडल के रूप में बनाया जा सकता है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर विभागीय आयुक्त को गौर करने और उचित निर्देश जारी करने के आदेश दिए।

हाल के वर्षों में नागपुर विभाग के गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। ऐसे में समाचार पत्रों में इस विषय के प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में विविध पहलुओं पर गौर करने के बाद कोर्ट ने गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों के संवर्धन के लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वतंत्र सारस संवर्धन समितियां गठित की है।

बाद में नागपुर जिलाधिकारी को इसमें जोड़ा गया। इस समिति को अपने जिले के क्षेत्र में सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेटलैंड की पहचान करना है। लेकिन राज्य वेटलैंड प्राधिकरण में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की कमी को देखते हुए राज्य वेटलँड प्राधिकरण ने नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मॅनेजमेंट (एनसीएससीएम) इस शोध संस्था के साथ समझौता करार किया गया है। यह शोध संस्था गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर और नागपुर के जिलाधिकारी को वेटलैंड संबंधी दस्तावेज तैयार करने में सहायता कर रहा है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गोंदिया जिले में सारस संवर्धन को प्राथमिकता देने के आदेश दिए थे।

मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में न्यायालय मित्र एड. राधिका बजाज के सुझाव पर उक्त आदेश जारी किए। राज्य वेटलँड प्राधिकरण के वरिष्ठ विधिज्ञ एस. के. मिश्रा और राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे ने पैरवी की। कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई 18 सितंबर को रखी है।

Created On :   29 Aug 2024 5:18 PM IST

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