वापसी जारी: अपने-अपने मूल विभाग में 80 फीसदी लौटे, ड्यूटी में 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी लगे थे

अपने-अपने मूल विभाग में 80 फीसदी लौटे, ड्यूटी में 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी लगे थे
  • मूल विभाग में 80 फीसदी कर्मचारी लौट गए
  • 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी ड्यूटी में लगे थे

डिजिटल डेस्क, नागपुर. लोकसभा चुनाव में नागपुर सहित विदर्भ में बसपा का चुनावी परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन प्रचार व बूथ प्रबंधन के मामले में वह इस बार पहले की तुलना में पिछड़ी नजर आई। इस मामले की शिकायत बसपा अध्यक्ष मायावती व महासचिव आकाश आनंद से भी की गई है। नागपुर के मामले में कहा गया है कि यहां कैडर बेस कार्यकर्ताओं के बीच भी समन्वय नहीं रहा। प्रदेश स्तर के कुछ पदाधिकारियों ने पूरे चुनाव प्रबंधन को प्रभावित किया। संगठन कार्य में लगे कार्यकर्ता मतदान तक भ्रमित रहे। विशेषकर संविधान के विषय को लेकर बसपा की चुनावी रणनीति पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पाया। इसको सर्वाधिक लाभ कांग्रेस को मिलने की संभावना जताई जा रही है।

सवाल पोजिशन का

अब बसपा के सामने सवाल है कि वह इस चुनाव में अपनी पोजिशन कायम रख पाएगी या नहीं। 2004 से बसपा लोकसभा व विधानसभा चुनाव में खाता खाेलने के प्रयासों में विपल रही है। हालांकि नागपुर सहित विदर्भ के कुछ क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव में वह लगातार तीन से 4 बार तीसरे स्थान पर रही है। बसपा को मिलते रहे मतदान का आंकड़ा देखा जाए तो कहा जा सकता है कि विदर्भ में उसका जनाधार है। नागपुर में वर्ष 2009 में बसपा ने 1,18,749 मतदान पाए थे। उस चुनाव में भाजपा के जिलाध्यक्ष माणिकराव वैद्य को बसपा ने उम्मीदवार बनाया था। वर्ष 2019 में 31,725 वर्ष 2014 में 94,433 वर्ष 2004 के चुनाव में बसपा ने नागपुर में 57,027 मत पाए थे। जिले की दूसरी लोकसभा सीट रामटेक में भी बसपा प्रभाव दिखाती रही। वर्ष 2019 में 44,327 वर्ष 2014 में 95,051, वर्ष 2009 में 62,238 व वर्ष 2004 के चुनाव में रामटेक में बसपा ने 55,442 मत पाए थे।

नागपुर की स्थिति

नागपुर लोकसभा क्षेत्र में इस बार बसपा का प्रचार कम ही नजर आया। प्रदेश प्रभारी रामजी गौतम ने पहले 3 पदाधिकारियों के नाम संभावित उम्मीदवारों में गिनाये थे, लेकिन अन्य कार्यकर्ता को उम्मीदवारी दी गई। एक प्रदेश सचिव के अलावा उनके सहयोगियों की लाबिंग सर्वाधिक चर्चा में रही। उम्मीदवारी चयन के समय यह निवेदन धरा रह गया कि ऐसे पदाधिकारी को उम्मीदवार बनाया जाए, जिन पर संगठन स्तर पर कभी सवाल नहीं उठा हाे, जो चुनाव संबंधी सभी व्यवस्थाएं पूरी कर सकें, जो निर्वाचन क्षेत्र के लिए परिचित हो। बसपा ने प्रदेश स्तर पर चुनाव प्रचार के लिए जो रणनीति तैयार की थी, उसमें संविधान का मामला प्रमुखता से शामिल था। बसपा मानती है कि संविधान के लिए भाजपा व कांग्रेस समान रुप से संकट लाना चाहती है। भाजपा संविधान बदलने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस ने कई बार संविधानिक मूल्यों का पालन नहीं करते हुए बहुजन समाज को संवैधानिक अधिकार से वंचित रखा। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष परमेश्वर गोणारे ने इस प्रचार रणनीति के संबंध में नागपुर सहित 15 लोकसभा क्षेत्र का दौरा भी किया, लेकिन चुनाव में यह विषय कांग्रेस का होकर रह गया।

चौंकानेवाला परिणाम

उत्तम शेवडे, प्रसिद्धि प्रमुख बसपा महाराष्ट्र के मुताबिक मतदान को लेकर चाहे जो तर्क लगाए जाएं, लेकिन इस बार बसपा को प्रदर्शन राज्य में निश्चित ही चौंकानेवाला रहेगा। बसपा अध्यक्ष मायावती ने नागपुर में आह्वान किया कि बहुजन समाज को कांग्रेस व भाजपा से समान दूरी बनाए रखना होगा। उस आह्वान को समाज ने स्वीकार किया है। बसपा ने मनपा व विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है।



Created On :   28 April 2024 5:57 PM IST

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