लापरवाही: उपराजधानी में 7.50 लाख संपत्ति धारक, सिर्फ 1463 घरों में ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग

उपराजधानी में 7.50 लाख संपत्ति धारक, सिर्फ 1463 घरों में ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग
  • कागजों में नियम, धरातल पर हो रही अनदेखी
  • कई सरकारी इमारतों में भी नहीं लगा वाटर हार्वेस्टिंग सि‍स्टम
  • सभी आवासीय क्षेत्र में अनिवार्य हो "रेन वॉटर हार्वेस्टिंग'

डिजिटल डेस्क, नागपुर. भू-जल स्तर पर लगातार चिंता व्यक्त की जा रही है। इस साल कम समय में ज्यादा बारिश हुई, लेकिन बारिश के पानी को सहेजने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। मनपा प्रशासन द्वारा इसे लेकर योजना भी तैयार नहीं की गई है। प्रशासन ने तीन सौ मीटर या उससे बड़े मानचित्रों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य किया गया था। जल संरक्षण के कागजों में खूब नियम और कानून बनाए गए हैं, लेकिन इन नियमों का धरातल पर कोई पालन नहीं हो रहा है। न ही कहीं कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसके आंकड़े चौंकाने वाले है। शहर में करीब 7.50 लाख संपत्ति धारक हैं, लेकिन रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम वाले महज 1463 संपत्ति धारक हैं।

संपत्ति कर में 5 प्रतिशत की छूट : विशेष यह कि मनपा इसपर संपत्ति कर में 5 प्रतिशत की छूट देती है। फिर भी लाभ धारक इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। प्रशासन के अधिकारी भी इसको लेकर बहुत ज्यादा गंभीर नहीं हैं। अक्सर कागजों में ही अनिवार्य शर्तों को पूरा करा लिया जाता है, जबकि हकीकत में कभी कोई अधिकारी शायद ही स्थल निरीक्षण के लिए जाता हो। अफसरों की लापरवाही का नतीजा है कि जिले की सरकारी इमारतों में भी गिनती के वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हुए हैं।

स्थिति चिंताजनक हालांकि शहर में 7.50 लाख संपत्तियों में से करीब 1,463 मालिकों यानी सिर्फ़ 0.92% ने आरडब्ल्यूएच को अपनाया है। नागपुर महानगरपालिका के संपत्ति कर विभाग से डेटा अनुसार 5440 मालिकों ने यानी सिर्फ़ 0.77% ने आरडब्ल्यूएच, सौर ऊर्जा उपयोग, जल अपशिष्ट पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग और वर्मीकंपोस्टिंग जैसे पर्यावरण अनुकूल उपायों को लागू किया है। आंकड़ों के अनुसार 3,067 घरों ने सोलर पैनल लगाने, 5002 लोगों ने अपशिष्ट जल के चक्रण और पुनः उपयोग के लिए तथा 5008 लोगों ने कचरे से वर्मीकंपोस्ट बनाने के लिए 5% छूट का दावा किया है।

भवन निर्माण की मंजूरी : प्राप्त जानकारी के अनुसार हनुमाननगर जोन में 531, लक्ष्मी नगर जोन में 215, सतरांजपुरा जोन में केवल 5, आसीनगर जोन में 18 ने आरडब्ल्यूएच को लागू किया है। 28 अगस्त 2009 से प्रभावी हुए नियमों के अनुसार गैर गांवठाण क्षेत्रों में 300 वर्ग मीटर (3,228 वर्ग फीट) और उससे अधिक के भूखंड के लिए आरडब्ल्यूएच अनिवार्य है। पिछले दो वित्तीय वर्षों (2022-23 और 2024-25) में नगर नियोजन विभाग ने 165 भूखंडों के लिए भवन निर्माण योजनाओं को मंजूरी दी है, जिसमें वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने की शर्त है। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि विभाग इस संबंध में कभी निरीक्षण नहीं करता है।

रोड वाटर हार्वेस्टिंग योजना बनाएं

डॉ. प्रवीण डबली, पर्यावरण मित्र के मुताबिक शहर के सभी सरकारी भवनों, शैक्षणिक संस्थानों, पार्कों, अस्पताल और विश्वविद्यालयों में आरडब्ल्यूएच अनिवार्य होना चाहिए और स्कूलों, होटलों, रेस्तरां और मॉल जैसी निजी संस्थाओं में भी इसे जरूर लागू करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो अधिकारियों द्वारा निरीक्षण कर इसे लागू करने में छूट दी है तो न लागू करने पर जुर्माना भी होना चाहिए। सड़कों पर बारिश के दिनों में पानी जमा होता है व बह जाता है। रोड बनाते समय सड़क के बाजू में ही ‘रोड वाटर हार्वेस्टिंग' की योजना बनाई जानी चाहिए।


Created On :   5 Aug 2024 6:50 PM IST

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