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जंगल में जलसंकट: सूखने की कगार पर 100 प्राकृतिक जलस्रोत, वन्यजीवों के सामने प्यास बुझाने का संकट
- मई आते-आते कृत्रिम जलस्रोतों पर ही वन्यजीवों को निर्भर रहना पड़ेगा
- प्यास बुझाने का संकट
- सूखने की कगार पर 100 प्राकृतिक जलस्रोत
डिजिटल डेस्क, नागपुर. धूप ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। अधिकृत आंकड़ों के अनुसार विदर्भ के पेंच व्याघ्र प्रकल्प के अंतर्गत बोर व्याघ्र प्रकल्प, उमरेड-पवनी-करांडला अभयारण्य, टीपेश्वर अभयारण्य, पैनगंगा अभयारण्य में अगले माह में 100 के करीब नैसर्गिक जलस्रोत सूख जाएंगे। वन्य प्राणियों को पानी मिलने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे में उन्हें प्रशासन द्वारा बनाए गए कृत्रिम जलस्रोत पर निर्भर रहना पड़ सकता है। प्रशासन ने इससे निपटने के लिए सारी तैयारियां कर ली है। कुल 350 कृत्रिम जलस्रोत को विभिन्न तरीकों से मेंटेन किया जा रहा है। पानी के लिए गांव तक पहुंचते हैं वन्यजीव : हर साल जंगलों में पानी कम होने के बाद वन्यजीव जंगल के बाहर निकल जाते हैं। कई बार वह मानवी इलाके में पहुंच जाते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है। इस तरह की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग की ओर से कृत्रिम जलस्रोत का सहारा लिया जाता है।
वन विभाग पूरी तरह सतर्क : आमतौर पर फरवरी माह से जंगल के प्राकृतिक जलस्रोतों का पानी खत्म होने लगता है। मई में स्थिति विकट हो जाती है। बड़े जल स्रोतों का पानी थोड़ा-बहुत टिका रहता है, लेकिन छोटे जलस्रोत का पानी नहीं टिक पाता है। ऐसे में वन्यजीव को पानी की कमी होती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए वन विभाग की ओर से जरूरी जगहों पर वॉटर होल बनाए गए हैं। जरूरत के अनुसार, छोटे-बड़े वॉटर होल प्राणियों के लिए मुख्य स्रोत साबित होते हैं। अधिकृत आंकड़ों के अनुसार, कुल 179 नैसर्गिक जलस्रोत बने हैं, जिसमें से 76 में हर माह पानी उपलब्ध रहता है। बचे 103 जलस्रोतों में बढ़ते माह के अनुसार पानी बच जाता है। अनुमान के अनुसार, मई के आखिर तक 87 जलस्रोत सूख जाएंगे। ऐसे में वन्यजीवों को प्रशासन द्वारा बनाए जलस्रोत पर निर्भर रहना पड़ता है। जानकारी के अनुसार, पूरे विदर्भ में कृत्रिम वॉटर होल की संख्या 350 है, जिसमें 123 पर सोलर पंप के माध्यम से जलापूर्ति होती है। 19 पर हैंडपंप के माध्यम से और बचे 198 में से 61 पर सरकारी टैंकर व 137 वॉटर होल पर 7 निजी टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही है।
Created On :   3 April 2024 6:31 PM IST