सुप्रीम कोर्ट: अदानी ग्रुप के बारे में जानकारी देने से क्यों कतरा रही है सेबी

अदानी ग्रुप के बारे में जानकारी देने से क्यों कतरा रही है सेबी
  • पिछले 23 वर्षों में अदानी समूह पर सेबी ने क्या कार्रवाई की
  • नहीं दी इसकी जानकारी
  • जानकारी देने से क्यों कतरा रही है सेबी

डिजिटल डेस्क, मुंबई, सोमदत्त शर्मा। सुप्रीम कोर्ट ने अदानी-हिंडनबर्ग मामले में बुधवार को फैसला सुनाते हुए सेबी ( भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा की जा रही जांच में दखल देने से इनकार कर दिया। यानी कि इस मामले की जांच पहले की तरह सेबी ही करती रहेगी। इधर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत सेबी ने अदानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों को पिछले 23 वर्षों में जारी किए गए कारण बताओं नोटिस, जारी किए समन और कंपनियों पर की गई कार्रवाई का विवरण देने से इनकार कर दिया है। पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारडा ने सेबी से अदानी ग्रुप पर नियमों के उलंघन के बाद सेबी की ओर से की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। सेबी ने प्रफुल्ल को एक चौंकाने वाला जवाब देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया कि यह जानकारी साझा करने से कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति पर असर पड़ सकता है।

आरटीआई कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारडा ने सेबी से अदानी ग्रुप की सभी लिस्टेड कंपनियों को कारण बताओ नोटिस और समन जारी करने की जानकारी मांगी थी। जिसमें अदानी एंटरप्राइज लिमिटेड, अदानी पावर लिमिटेड, अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और अदानी पोर्ट्स एवं स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड और दूसरी कंपनियां भी शामिल हैं। प्रफुल्ल को जवाब देते हुए सेबी ने कहा कि आरटीआई के तहत जो जानकारी मांगी है उस मामले में अभी भी जांच चल रही है। लिहाजा आरटीआई एक्ट 2005 के गोपनीयता के नियमों के अनुसार वह जानकारी नहीं दे सकते। सटीक जानकारी नहीं मिलने पर प्रफुल्ल ने इस मामले में अपील भी दायर की लेकिन अपील में भी उन्हें अदानी ग्रुप को जारी किए गए कारण बताओं नोटिस और जारी किए समन के बारे में जानकारी नहीं दी गई। सेबी ने अपने जवाब में कुछ आदेशों का भी हवाला दिया है कि ऐसे मामलों में पहले भी आरटीआई के तहत जानकारी नहीं दी गई है।

प्रफुल्ल सारडा ने "दैनिक भास्कर" से बातचीत में कहा कि एक तरफ सेबी सोच समझकर इन्वेस्ट करने का प्रचार करती है। वहीं दूसरी तरफ अगर किसी कंपनी पर की गई कार्रवाई या फिर उन्हें किसी मामले में उस पर जुर्माना लगाया गया है तो इसकी जानकारी नहीं देती। इससे सेबी द्वारा किया गया प्रचार ही उस पर खुद सटीक नहीं बैठ रहा है। प्रफुल्ल ने कहा कि सेबी एक तरफ प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति के चलते कंपनी की कोई भी जानकारी देने से बच रही है, वहीं सेबी ने 25 मई 2007 को अदानी एक्सपोर्ट्स लिमिटेड के प्रमोटर डॉ टी. सी नायर पर संदिग्ध गतिविधियों के चलते 2 साल के लिए किसी भी खरीदारी और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था। सारडा का कहना है कि इसके लिए सेबी ने 28 मई को प्रेस रिलीज जारी कर यह जानकारी सार्वजनिक की थी। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब जो जानकारी सेबी ने सार्वजनिक कर दी उसकी जानकारी फिर आरटीआई के जरिए क्यों नहीं गई? सारडा का कहना है कि वो इस मामले में कानूनी सलाह भी ले रहे हैं। वह जल्द ही सेबी के जवाब के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

Created On :   3 Jan 2024 9:25 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story