Mumbai News: चुनाव के दौरान 73 पुलिस अधिकारियों के तबादले सही, मोहम्मद खालिद शेख को भी मिली जमानत

चुनाव के दौरान 73 पुलिस अधिकारियों के तबादले सही, मोहम्मद खालिद शेख को भी मिली जमानत
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा चुनाव के दौरान 73 पुलिस अधिकारियों के तबादले को ठहराया सही
  • बॉम्बे हाई कोर्ट से एआईएमआईएम के पूर्व नगरसेवक मोहम्मद खालिद शेख को मिली जमानत

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा चुनाव के दौरान 73 पुलिस अधिकारियों के उनके गृह जिले से तबादला किए जाने को सही ठहराया है। अदालत ने महाराष्ट्र प्रशासनिक प्राधिकरण के उनकी (पुलिस अधिकारी) प्रतिनियुक्ति संबंधी फैसले को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि न्यायाधिकरण का यह मानना उचित नहीं था कि संबंधित पुलिस कर्मियों को जारी किए गए तबादले के आदेश केवल चुनाव होने तक ही प्रभावी रहेंगे। तबादले के आदेश यह संकेत नहीं देते हैं कि वे केवल चुनाव संपन्न होने तक ही प्रभावी रहेंगे। इसलिए तबादले के आदेशों को तबादले के आदेश के रूप में माना जाना चाहिए, जो किसी विशेष अवधि तक सीमित नहीं हैं। न्यायमूर्ति ए.एस.चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने राज्य सरकार की अपील पर कहा कि ईसीआई के निर्देश राज्य सरकार पर बाध्यकारी थे, तो सार्वजनिक हित में उनका पालन करने के लिए उठाए गए कदम 1951 के अधिनियम की धारा 22-एन (2) द्वारा प्रदत्त शक्ति को लागू करने और तबादला करने के लिए पर्याप्त होंगे। उस आधार पर हमें नहीं लगता कि तबादले के आदेशों में कोई दोष पाया जा सकता है। राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा जारी 21 जनवरी 2023 के सूचना और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा जारी 22 फरवरी 2024 के सूचना के आधार पर महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम 1951 की धारा 22-एन (2) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगभग 73 पुलिस कर्मियों (पुलिस निरीक्षक, सहायक पुलिस निरीक्षक और उप निरीक्षक) के तबादला का आदेश जारी किए। यह कहा गया कि ये तबादले जनहित में और प्रशासनिक आवश्यकताओं के कारण किए गए। तबादले के आदेश से व्यथित कुछ पुलिस अधिकारियों ने न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया। राज्य सरकार के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने न्यायाधिकरण निर्णय को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका के समर्थन में कहा कि न्यायाधिकरण ने इस मानने में गलती की है कि राज्य चुनाव आयोग द्वारा 21 दिसंबर 2023 को जारी निर्देशों के अनुसरण में जारी किए गए तबादले के आदेश समाप्त होने की प्रकृति के थे। वे केवल तब तक प्रभावी थे, जब तक चुनाव प्रक्रिया जारी थी। तबादले के आदेश 1951 के अधिनियम की धारा 22-एन द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत जारी किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप तबादला किए गए व्यक्तियों की कोई प्रतिनियुक्ति नहीं मानी गई। पीठ ने राज्य सरकार के पुलिस अधिकारियों के तबादले को सभी माना और न्यायाधिकरण के फैसले को रद्द कर दिया। पीठ ने यह कहा कि वर्तमान में कुछ पुलिस स्टेशनों पर कुछ रिक्तियां उपलब्ध हैं, जिन पर प्रतिवादी नियुक्ति चाहते हैं। गृह विभाग के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा ऐसे रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए किए गए किसी भी अनुरोध पर विचार करना भी खुला होगा।

बॉम्बे हाई कोर्ट से एआईएमआईएम के पूर्व नगरसेवक मोहम्मद खालिद शेख को मिली जमानत

बॉम्बे हाई कोर्ट से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के भिवंडी अध्यक्ष और भिवंडी निजामपुर महानगरपालिका के पूर्व नगरसेवक मोहम्मद खालिद मुख्तार अहमद शेख को बिल्डर के अपहरण और उससे हफ्ता वसूली के मामले में जमानत मिल गई। उसके खिलाफ किडनैपिंग, अवैध वसूली और हत्या की कोशिश के कई केस भिवंडी, पुणे, मुंबई, रायगढ़ और गुजरात में दर्ज हैं। पुलिस ने उसे 25 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया था। वह पिछले 4 साल 4 महीने और 14 दिन से जेल में बंद है। न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने खालिद शेख की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि आज तक कोई आरोप तय नहीं किया गया है। ऐसी परिस्थितियों में निकट भविष्य में मुकदमा शुरू होने और पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। वह लंबे समय से जेल में बंद हैं। मामले में त्वरित सुनवाई, न्याय और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रथम दृष्टया तथ्यों के आधार पर याचिकाकर्ता की जमानत का विचार किया जाता है। पीठ ने याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपए के पी.आर.बांड और समान राशि के एक या दो जमानतदार समेत कुछ शर्तों पर जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता को पहले छह महीनों के लिए हर महीने के पहले सोमवार को सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच भिवंडी सिटी पुलिस स्टेशन और ठाणे क्राइम ब्रांच में जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा। उसे इस मामले में मुकदमे के पूरा होने तक भिवंडी तहसील और पडघा पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया जाता है। याचिकाकर्ता किसी भी गवाह को प्रभावित नहीं करेगा या किसी भी तरह से सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा। इसका उल्लंघन करने पर अभियोजन पक्ष को इस आदेश को रद्द करने के लिए आवेदन करने का अधिकार होगा।

क्या है पूरा मामला

आरोप है कि याचिकाकर्ता ने बिल्डर को अपने कार्यालय में बुलाया और उसे अपने लाभ का 20 फीसदी राशि हफ्ता के रूप में देने को कहा। जब बिल्डर ने उसे पैसे देने से इनकार कर दिया, तो उसने उसे धमकी दी। बिल्डर तकवीम उर्फ गुट्टू एजाज खान की शिकायत पर भिवंडी सिटी पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 364-ए, 384, 385, 386 और 387 के साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 3 और 25 के तहत खालिद शेख समेत पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

Created On :   9 Feb 2025 8:13 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story