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वॉकथान: जो कभी ठीक तरह से चल नहीं पाते थे, वह दूसरों को जागरूक करने के लिए दौड़े
- ऑर्थोपेडिक समस्या की जनजागृति के लिए वॉकथान
- अस्थि रोग से ग्रसित लोगों को प्रोत्साहित करने की कोशिश
- गंभीर समस्याओं को जज्बे से दी मात
डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। किसी व्यक्ति को पोलियो हो, उसका हिप रिप्लेसमेंट हुआ हो और उम्र का तकाजा भी हो, तो ऐसे में क्या आप सोच सकते हैं कि ऐसा व्यक्ति कभी दौड़ पाएगा? लेकिन एक ऐसा बहादुर दंपति रविवार की सुबह वॉकथान में दौड़कर दूसरे लोगों के लिए मिसाल बन गया है। इस वॉकथान में ऐसे कई लोगों का भी जज्बा दिखा, जो कभी हड्डियों से संबंधित बीमारियों की वजह से सही तरीके से चल भी नहीं पाते थे।मूनोट हेल्थकेयर फाउंडेशन की ओर से रविवार को बांद्रा स्थित ताज लैंड्स एंड होटल परिसर के मैदान में वॉकथान का आयोजन किया गया था। अपनी तरह का यह पहला ऐसा वॉकथान था, जो अस्थि रोग (आर्थोपेडिक) से संबंधित समस्या के प्रति जनजागृति के लिए आयोजित किया गया था। इस वॉकथान में जनजागृति के लिए वे लोग दौड़े थे, जो कभी अपनी ऑर्थोपेडिक समस्या की वजह से ठीक तरह से चल भी नहीं पाते थे। लेकिन डॉ. प्रदीप मूनोट ने सर्जरी कर आज इन्हें फिर से चलने योग्य बना दिया है। इस वॉकथान में 250 से अधिक लोग शामिल हुए थे। फाऊंडेशन के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप मूनोट और आईडीएफसी बैंक के सीईओ विद्यानाथन ने फ्लैग दिखाकर वॉकथान की शुरुआत की। इस वॉकथान में शामिल प्रतिभागियों में जोश बढ़ाने के लिए डॉ. हरीश भल्ला दिल्ली से मुंबई आए थे।
जन्मजात पोलियो फिर भी दौड़ लगाई
58 वर्षीय प्रफुल्ल चांदूरकर का बायां पैर जन्मजात से पोलियो ग्रस्त है। गिरने से चोटिल होने पर उनका हिप भी बदला गया है। प्रफुल्ल के साथ उनकी 55 वर्षीय पत्नी मोनिका का भी दाहिना पैर जन्म से ही छोटा था, जिसे सर्जरी के जरिए बढ़ाया गया है। इस दंपति का कहना है कि वे इस वॉकथान में इसलिए शामिल हुए कि वे लोगों को कह सकें कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए।
सड़क हादसे में हुई थी चोटिल, फिर भी नहीं रुकी रफ्तार
43 वर्षीय विराज शाह का टखना सड़क हादसे में क्षतिग्रस्त हो गया था। डॉ. प्रदीप ने बिना टखना बदले उनकी सर्जरी कर, उन्हें फिर से चलने योग्य बना दिया। रविवार को वॉकथान में विराज जोश के साथ चलते हुई दिखाई दिए।
घुटना-टखना बदला लेकिन पैर नहीं थमे
वॉकथान में एक प्रतिभागी ऐसे भी थे जो पेशे से होमियोपैथी डॉक्टर हैं। 64 वर्षीय डॉ. संजीव भालेराव भारत में पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके टखने को नए वैरिएंट के साथ बदला गया था। वे भी रविवार सुबह वॉकथान में जनजागृति के लिए चल रहे थे।
3 सर्जरी के बाद चलने लगी केतकी
दादर निवासी केतकी जैन ऐसी प्रतिभागी थीं, जिसके पैरों की 3 सर्जरी हो चुकी है। पहले वह ठीक से चल भी नहीं पाती थी, लेकिन इस वॉकथान में वह लोगों को जागरूक करने के लिए चलीं।
Created On :   29 Jan 2024 4:09 PM IST