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जिला परिषद के स्कूलों में भर्ती होने वाले नए शिक्षकों के जिले के बाहर तबादले पर लगेगी रोक
- नए शिक्षकों के जिले के बाहर तबादले पर लगेगी रोक
- जिला परिषद के स्कूलों में भर्ती होने वालों के लिए अपील
- स्कूली शिक्षा विभाग ने किया ग्रामीण विकास विभाग से आग्रह
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के जिला परिषद स्कूलों में भर्ती होने वाले नए शिक्षकों के तबादले दूसरे जिले में नहीं हों और अगर किसी शिक्षक को दूसरे जिले में जाना है तो वह इस्तीफा देकर फिर से परीक्षा दे और चुने जाने पर ही दूसरे जिले में नियुक्त हो। स्कूली शिक्षा विभाग ने राज्य के ग्रामीण विकास विभाग से यह आग्रह किया है। स्कूली शिक्षा विभाग ने इससे जुड़ा शासनादेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जिला परिषद के स्कूलों में नियुक्त होते ही बड़ी संख्या में शिक्षक लॉबिंग शुरू कर देते हैं। ऐसे में कुछ जिलों में शिक्षकों की कमी हो जाती है, जबकि दूसरे जिलों में अतिरिक्त शिक्षक हो जाते हैं। इसीलिए स्कूली शिक्षा विभाग चाहता है कि पहले से जिन शिक्षकों ने तबादले के लिए आवेदन दे रखा है, उन्हें एक बार तबादले का मौका दिया जाए। इसके बाद रिक्त पदों की सूची बनाकर नई भर्तियां की जाएं और जिले के बाहर तबादले पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए। हालांकि स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी या पति-पत्नी के अलग-अलग जिलों में होने पर तबादले की छूट दी जा सकती है।
शिक्षकों को स्कूल की जिम्मेदारी देंगे
स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने गुरुवार को मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इससे हम शिक्षकों को उस स्कूल की जिम्मेदारी दे देंगे और वहां के विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देने की जवाबदेही तय होगी। वहीं, भाजपा शिक्षक आघाड़ी के अनिल बोरनारे ने कहा कि कई बार ऐसे हालात होते हैं, जब शिक्षक वाकई परेशानी में होते हैं, खासकर किसी को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकतीं हैं। बड़े पैमाने पर तबादले से होने वाली परेशानी को समझा जा सकता है, लेकिन कुछ मामलों में छूट दी जानी चाहिए।
‘तुगलकी है यह फरमान’
स्कूली शिक्षा विभाग के इस आग्रह का विरोध शुरू हो गया है। महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद के कार्यवाहक शिवनाथ दराडे ने कहा कि स्कूली शिक्षा मंत्री अंधेरे में फैसले कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस शिक्षक की नियुक्ति ऐसी जगह हुई है, जहां यातायात से साधन तक नहीं हैं, उसने ऐसा क्या अपराध किया है कि उसे पूरी जिंदगी उसी जगह रहना होगा। क्या उसे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और परिवार को सुविधा देने का अधिकार नहीं है। इस फैसले का कोई आधार नहीं है। हर व्यक्ति को हर जगह पर काम करने का मौका मिलना चाहिए। किसी को शहर के नजदीक मौका मिल गया, तो वह हमेशा वहीं रहेगा। हर तीन साल में तबादले का जो नियम है, वह सही है। जवाबदेही का मंत्री का दावा गलत है, क्योंकि तीन साल में भी यह जिम्मेदारी तय की जा सकती है।
शराब या तंबाकू रखने पर भी शिक्षक होंगे निलंबित
स्कूल परिसरों में शराब, तंबाकू और तंबाकू से जुड़े पदार्थों के सेवन के साथ-साथ उसे रखने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। अगर कोई शिक्षक या दूसरा कर्मचारी शराब, तंबाकू या तंबाकू जनित पदार्थ का सेवन करते या उसे अपने पास रखते पाया गया, तो उसे तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया गया है। स्कूल से जुड़े लोगों की ही नहीं, नियमों का उल्लंघन करने वाले बाहरी व्यक्ति पर भी मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला परिषद के माध्यम से कार्रवाई की जाएगी।
Created On :   22 Jun 2023 9:44 PM IST