रोड़ा: कोचिंग क्लास में दाखिले की उम्र 16 साल करने को लेकर अभिभावक और शिक्षक चिंतित

कोचिंग क्लास में दाखिले की उम्र 16 साल करने को लेकर अभिभावक और शिक्षक चिंतित
  • कठिन होती है परीक्षा , कम समय मिलने पर बढ़ेगा तनाव
  • शिक्षकों की योग्यता के नियम ठीक-ठाक
  • कोई खुश है तो कोई मायूस

दुष्यंत मिश्र, मुंबई । शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग संस्थानों के लिए जो दिशा निर्देश जारी किए हैं उसे लेकर अभिभावकों और शिक्षकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। कुछ नियमों के साथ तो सभी खड़े हैं लेकिन कुछ को लेकर आशंकाएं हैं। भायंदर में रहने वाली कविता पांडे जिनका बेटा 12वीं के साथ जेईई की तैयारी कर रहा है उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि सरकार कोचिंग क्लास को नियमों के दायरे में लाई है इससे वहां योग्य शिक्षक ही नियुक्त होंगे और बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी अभिभावक आश्वस्त होंगे। लेकिन 16 साल की आयु सीमा की जो शर्त लगाई गई है वह ठीक नहीं है।

स्पर्धा परीक्षाओं के प्रश्नपत्र बेहद कठिन होते हैं साथ ही इन्हें पास करने के लिए भी निर्धारित उम्र है इसलिए अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे जल्द तैयारी शुरू करें। अगर तैयारी के लिए कम समय मिलेगा तो बच्चों पर दबाव और बढ़ेगा इसलिए आयु सीमा के मामले में थोड़ी छूट दी जानी चाहिए। कविता ने कहा कि कोचिंग क्लास में पढ़ने वाले बच्चों के मार्गदर्शन के लिए मनोवैज्ञानिक भी तैनात किए जाने चाहिए जो विद्यार्थियों से बातचीत कर यह समझा सकें कि असफलता मिले तो भी जीवन में आगे कैसे बढ़ें। तिवारी सरस्वती क्लासेस के डायरेक्टर डॉ दयानंद तिवारी ने कहा कि नए दिशानिर्देशों से मैं खुश हूं। आम तौर पर स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक ही 100-100 विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाते थे जबकि उनके पास सुविधाएं नहीं होतीं थीं। अब जगह के मुताबिक सीमित संख्या में बच्चों को ही पढ़ाया जा सकेगा।

तिवारी ने कहा कि मुझे लगता है कि 14 साल की आयु के बच्चों को कोचिंग में पढ़ाने की इजाजत दे दी जानी चाहिए। शिक्षकों की योग्यता के नियम भी अच्छे हैं क्योंकि फिलहाल कोचिंग में कम पढ़े लिखे और अयोग्य लोगों को भी बतौर शिक्षक नियुक्त कर दिया जाता है। सेठ डी एम हाईस्कूल के मुख्याध्यापक अमर प्रसाद यादव ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए कोचिंग संस्कृति बिल्कुल ठीक नहीं है और यह शिक्षकों की अयोग्यता का परिणाम है लेकिन मुश्किल यह भी है कि अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों पर चुनाव, जनगणना, सरल, यूडायस आदि से जुड़े इतने काम सौंप दिए जाते हैं कि वे पढ़ाने के अलावा बाकी सब कुछ करते हैं। नए दिशानिर्देशों को लेकर एक परेशानी यह हो सकती है कि बड़े कोचिंग क्लास और फले फुले जबकि छोटे कोचिंग क्लास बंद हो जाएं। इससे आर्थिक रुप से कमजोर परिवारों को aदिए अपने बच्चों को कोचिंग में भेजना भी मुश्किल हो सकता है।


Created On :   20 Jan 2024 7:49 PM IST

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