विवाद: शहरों का नाम बदलने वाली सरकार की अधिसूचना अवैध नहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा

शहरों का नाम बदलने वाली सरकार की अधिसूचना अवैध नहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा
  • राज्य सरकार को हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत
  • अदालत ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के खिलाफ याचिका किया खारिज
  • न धार्मिक या सांप्रदायिक नफरत फैली और न ही इससे धार्मिक समूहों के बीच कोई दरार पैदा हुई

डिजिटल डेस्क, मुंबई । बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली। अदालत ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहर और राजस्व प्रभागों का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर और धाराशिव करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि शहरों का नाम बदलने वाली अधिसूचना अवैध नहीं थी।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने बुधवार को मोहम्मद मुस्ताक अहमद और मोहम्मद युसूफ की जनहित याचिका पर अपना फैसला सुनाया कि हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि शहरों और राजस्व प्रभागों का नाम बदलने वाली अधिसूचनाओं में कोई बुराई नहीं है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने 29 जून 2021 की अपनी कैबिनेट बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद दोनों का नाम बदलने का फैसला किया था।

औरंगाबाद शहर और राजस्व प्रभाग का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर कर दिया गया था। जबकि उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव कर दिया गया था। 16 जुलाई 2022 को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली नई सरकार ने एमवीए सरकार के फैसले की फिर से पुष्टि की। इसके बाद संबंधित जिलों के निवासियों समेत व्यक्तियों द्वारा हाई कोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाओं में दावा किया गया था कि राज्य सरकार ने वर्ष 2001 में औरंगाबाद का नाम बदलने के अपने प्रयास को रद्द कर दिया था। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने कथित तौर पर राजनीतिक लाभ के लिए अपने अंतिम मंत्रिमंडल में इस मुद्दे को अनधिकृत तरीके से उठाया था। यह निर्णय संविधान के प्रावधानों की पूरी तरह से अवहेलना है।

उस्मानाबाद का नाम बदलने के खिलाफ याचिका में कहा गया था कि उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने से धार्मिक और सांप्रदायिक नफरत भड़क सकती है, जिससे धार्मिक समूहों के बीच दरार पैदा हो सकती है। इस तरह यह भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के विपरीत है। इसने यह भी बताया कि 1998 में महाराष्ट्र सरकार ने उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने का प्रयास किया था, लेकिन असफल रही।

इसके जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने दावा किया कि उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने से न तो कोई धार्मिक या सांप्रदायिक नफरत फैली और न ही इससे धार्मिक समूहों के बीच कोई दरार पैदा हुई। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने पर अधिकांश लोगों ने जश्न मनाया। सरकार ने उन आरोपों का विशेष रूप से खंडन किया कि नाम बदलना एक समुदाय के प्रति नफरत फैलाने के उद्देश्य से एक राजनीतिक रूप से प्रेरित कदम था।

Created On :   8 May 2024 6:52 PM IST

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