तफ्तीश जारी: शिवसेना उद्धव गुट के अभिषेक घोसालकर हत्याकांड की सीबीआई को सौंपी जांच -

शिवसेना उद्धव गुट के अभिषेक घोसालकर हत्याकांड की सीबीआई को सौंपी जांच    -
  • अदालत ने कहा- मुंबई पुलिस ने हत्या की सभी पहलुओं से नहीं की जांच
  • पत्नी तेजस्वी घोसालकर ने याचिका दायर कर की थी सीबीआई जांच की मांग
  • 8 फरवरी को अभिषेक घोसालकर की हुई थी हत्या

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवसेना उद्धव गुट के पूर्व नगर सेवक अभिषेक घोसालकर हत्याकांड की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को जांच सौंपी दी है।अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मुंबई पुलिस ने घोसालकर हत्या के सभी पहलुओं से जांच नहीं की। पूर्व विधायक विनोद घोसालकर के बेटे अभिषेक की 8 फरवरी को बोरीवली में एक सोशल मीडिया लाइव के दौरान कथित तौर पर उनके पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मौरिस नोरोन्हा ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनकी पत्नी तेजस्वी घोसालकर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति श्याम सी चांडक की पीठ ने 10 जुलाई को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने शुक्रवार को तेजस्वी घोसालकर की याचिका स्वीकार करते हुए मामले की सीबीआई को सौंप दी और मुंबई पुलिस को जांच के कागजात दो सप्ताह के भीतर जल्द से जल्द सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है।

साथ ही पीठ ने सीबीआई के क्षेत्रीय निदेशक को मामले की जांच के लिए पुलिस अधीक्षक के पद से नीचे का कोई आईपीएस कैडर अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि सीबीआई अपने अधिकारियों की टीम नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है। पुलिस ने मामले में सभी ऐंगल से जांच नहीं की और ऐसी चूक जारी नहीं रहने दी जा सकती है, क्योंकि इससे न्याय की विफलता होगी।

41 वर्षीय अभिषेक की 8 फरवरी को बोरीवली में सोशल मीडिया लाइव के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात को कथित तौर पर उनके पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मौरिस नोरोन्हा (47) ने अंजाम दिया और बाद में वह खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। 9 फरवरी को पुलिस ने नोरोन्हा के अंगरक्षक अमरेंद्र मिश्रा को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि अपराध में उनके लाइसेंसी असलहे का इस्तेमाल किया गया था। याचिका में जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध करते हुए दावा किया गया था कि मुंबई पुलिस द्वारा की गई जांच में कोई प्रगति नहीं हो रही है और जांच असंतोषजनक है। बोरीवली के एमएचबी पुलिस स्टेशन ने नोरोन्हा उर्फ मौरिस भाई के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था। इसके बाद जांच को अपराध शाखा को सौंप दिया गया था। सत्र न्यायालय ने 25 जून को अंगरक्षक मिश्रा को जमानत मिल गई।

याचिका में मामले में आईपीसी की धारा 120-बी के तहत आपराधिक साजिश के आरोप लगाने की भी अनुरोध की गई थी।अदालत ने कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) और उसके विश्लेषण और मामले से संबंधित सीसीटीवी फुटेज का भी अवलोकन किया था। वकील भूषण महाडिक और नेहा सुले ने दलील दी कि तेजस्वी ने हत्या में शामिल संदिग्ध लोगों का विवरण देते हुए विभिन्न अधिकारियों को एक पत्र लिखा था और एक विशेष जांच दल के गठन का अनुरोध किया था। इसके बावजूद पुलिस जांच करने और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली, संरक्षित और उन्हें बचाने वाले आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने में विफल रही। मिश्रा द्वारा प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) से लाइसेंसी हथियार लिया गया था, जो कथित तौर पर दिसंबर 2023 के मध्य में नोरोन्हा के साथ जुड़ा और बिना किसी सुरक्षा एजेंसी कंपनी या फर्म से संपर्क किए अंगरक्षक की रूप में तैनात हुआ था। उन्होंने उचित वैधानिक प्रक्रिया या प्रावधानों का पालन नहीं किया और महाराष्ट्र में लाइसेंसी हथियार को पंजीकृत नहीं कराया था। याचिका में मिश्रा के हथियार लाइसेंस पर 'लिखी' प्रविष्टियों की जांच की अनुरोध किया गया था।

Created On :   6 Sept 2024 2:22 PM GMT

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