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औद्योगिक परियोजनाओं के महाराष्ट्र से बाहर जाने की बात गलत
- उद्योगमंत्री ने विधानमंडल के दोनों सदनों में श्वेत पत्र पेश झाड़ा पल्ला
- परियोजनाओं के महाराष्ट्र से बाहर जाने की बात गलत
डिजिटल डेस्क, मुंबई. वेदांता फॉक्सकॉन व एयर बस परियोजना को महाराष्ट्र में लगाने के लिए एमआईडीसी अथवा राज्य सरकार के साथ कोई करार नहीं हुआ था। इस लिए यह कहना सही नहीं होगा कि ये परियोजनाएं राज्य से बाहर चली गई। राज्य के उद्योगमंत्री उदय सामंत द्वारा गुरुवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश श्वेत पत्र में यह दावा किया गया है।
विपक्ष लगातार इस बात को लेकर शिंदे सरकार की आलोचना कर रहा है कि राज्य की लापरवाही के चलते महाराष्ट्र में लगने वाली कई औद्योगिक परियोजनाएं दूसरे राज्यों में चली गई। इसको लेकर राज्य के उद्योगमंत्री सामंत ने श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की थी। गुरुवार को उन्होंने अपने वादे के अनुसार विधानसभा व विधान परिषद में श्वेत पत्र पेश किया।श्वे त पत्र सदन में पेश करते हुए चार बड़े उद्योगों के राज्य के बाहर जाने को लेकर पल्ला झाड़ लिया है। श्वे त पत्र में कहा गया कि मौजूदा सरकार की गलती से एक भी परियोजना बाहर नहीं गई। सामंत ने कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार यदि समय पर फैसला लेती तो एक भी परियोजना बाहर नहीं जाती।
क्या लिखा है श्वेत पत्र में?
श्वे त पत्र में कहा गया कि डेढ़ लाख करोड़ की वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना को राज्य में लाने के विशेष प्रयास किए गए। वेदांता ने महाराष्ट्र के साथ-साथ अन्य राज्यों से संपर्क किया था। इस परियोजना से कम से कम 1 लाख रोजगार के अवसर बनते। कंपनी ने महाराष्ट्र में निवेश करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। 15 जुलाई 2022 को हुई उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में कंपनी को विशेष प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया गया।
वेदांता कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने 13 सितंबर, 2022 को ट्विटर के माध्यम से जानकारी दी कि कंपनी ने गुजरात सरकार से करार किया है। चूंकि कंपनी ने महाराष्ट्र में परियोजना स्थापित करने के लिए राज्य सरकार या एमआईडीसी से कोई करार नहीं किया था, ऐसे में परियोजना के बाहर चले जाने की बात सत्य नहीं है।
तकरीबन 22 हजार करोड़ रुपए की एयरबस प्रोजेक्ट के बारे में बताया गया कि एयरबस-टाटा कंपनी ने निवेश के लिए एमआईडीसा से एमओयू नहीं किया और जगह की मांग भी नहीं की थी। साथ ही राज्य के उद्योग विभाग से केंद्रीय मंत्रालय या टाटा कंपनी से पत्र व्यवहार भी नहीं हुआ था। ऐसे में इस परियोजना के राज्य से बाहर जाने की बात सही नहीं है।
श्वेत पत्र में 1 लाख करोड़ की बल्क ड्रग पार्क परियोजना के बारे में कहा गया कि महाराष्ट्र सहित 13 राज्यों ने बल्क ड्रग पार्क के लिए केंद्र के पास प्रस्ताव भेजे थे। पर इसके लिए महाराष्ट्र का चयन नहीं हो सका।
1 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार ने बल्क ड्रग्स पार्क की स्थापनाकेलिए1,000 करोड़ रुपए का अनुदान देने के लिए गुजरात, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश का चयन किया गया था। राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी पर इस परियोजना को राज्य सरकार की निधि से पूरा करने का फैसला लिया गया है। इसके लिए भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरु है।
Created On :   4 Aug 2023 7:40 PM IST