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बॉम्बे हाईकोर्ट: मां की मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी बेटा पाने का हकदार है, ब्याज के साथ दें
- अदालत का सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को ब्याज के साथ बेटे को 8 सप्ताह में ग्रेच्युटी की राशि देने आदेश
- अदालत ने माना-सरकारी कर्मचारी की मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी उसके दूसरे पति को देना गलत
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि मां की मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी को उसका बेटा पाने का हकदार है। अदालत ने सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को बेटे को ब्याज के साथ ग्रेच्युटी की राशि 8 सप्ताह में देने का आदेश दिया है। पीठ ने माना कि याचिकाकर्ता की सरकारी कर्मचारी मां के दूसरे पति को उसकी मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी देना गलत था। न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एम.एम.सथाये की पीठ के समक्ष निखिल मीना पटेल की याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को देय मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की राशि का सौतेले पिता प्रकाश वी.भावसार को गलत भुगतान करने का कारण चाहे जो भी हो, इससे याचिकाकर्ता की ग्रेच्युटी प्राप्त करने की पात्रता प्रभावित नहीं होनी चाहिए। याचिकाकर्ता राशि प्राप्त करने का हकदार था। हम मानते हैं कि याचिकाकर्ता को देय ग्रेच्युटी की राशि संस्थान द्वारा अनुचित रूप से रोक ली गई थी। याचिकाकर्ता इस राशि को ब्याज सहित प्राप्त करने का हकदार है। हम निर्देश देते हैं कि संस्थान भावसार को भुगतान की गई राशियों के संदर्भ के बिना 8 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को उसका भुगतान करेगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि दादरा, नगर हवेली, दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश में सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में क्लर्क के पद पर मीना जे.पटेलर कार्यरत थी। उनकी 14 नवंबर 2016 को मृत्यु हो गई। इससे पहले उन्होंने 13 जनवरी 1999 को केंद्रीय सेवा (पेंशन) नियम 1972 के तहत फॉर्म 1 के अनुसार मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी के लिए नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने उसमें अपने बेटे निखिल को मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी के लिए उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया था। उस समय वह 8 वर्ष का था। इसलिए उसके पिता जे.एन.रोहित का नाम याचिकाकर्ता के अभिभावक के रूप में दूसरे नामित व्यक्ति के रूप में उल्लेख किया गया था। याचिकाकर्ता निखिल के पिता रोहित की मृत्यु के बाद उनकी मां मीना ने 8 नवंबर 2012 को प्रकाश भावसार से दोबारा शादी कर ली थी।
मीना की मृत्यु के बाद बेटे को मां की मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की राशि प्राप्त नहीं हुई, इसलिए उसने 17 अक्टूबर 2018 को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एक आवेदन दायर किया, जिसमें मां की दी गई राशि का विवरण मांगा गया। याचिकाकर्ता को 22 नवंबर 2018 को पता चला कि मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की राशि उसके सौतेले पिता प्रकाश भावसार को दी गई है। याचिकाकर्ता ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से शिकायत की, तो संस्थान ने माना कि याचिकाकर्ता के सौतेले पिता भावसार को मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की राशि गलत तरीके से दे दी गई है। इसके बाद निखिल ने मां की मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की राशि के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
Created On :   14 July 2024 9:08 PM IST