विधानसभा: श्मशान भूमियों को आबादी वाली क्षेत्रों से हटाओ, विधायक सुनील राणे की मांग

श्मशान भूमियों को आबादी वाली क्षेत्रों से हटाओ, विधायक सुनील राणे की मांग
  • बोरीवली के भाजपा विधायक सुनील राणे ने विधानसभा में की मांग
  • विधायक सुनील राणे की विधानसभा में मांग की

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बोरीवली (पश्चिम) के निवासी पिछले काफी समय से इलाकों में बने श्मशान भूमि से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण के चलते परेशान हैं। यह मामला अब महाराष्ट्र विधानसभा में भी पहुंच गया है। इलाके के भाजपा विधायक सुनील राणे ने बोरीवली पश्चिम में बने श्मशान भूमि से होने वाले प्रदूषण का मुद्दा शनिवार को विधानसभा में उठाया। राणे ने कहा कि ज्यादातर श्मशान भूमि अब आबादी वाले क्षेत्रों से घिर गए हैं। जिसकी वजह से आसपास रहने वाले लोगों को प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। राणे ने सरकार से बहुल आबादी में बने श्मशान ग्रहों को समुद्र के किनारे बनाने का सुझाव दिया है। इस पर सरकार ने उचित कदम उठाने की बात कही है।

राणे ने विधानसभा में श्मशान भूमि की चिमनियों से निकलने वाले धुएं पर सवाल उठाते हुए कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में जब जनसंख्या कम थी और ऊंची-ऊंची इमारतें नहीं बनी थीं, उस समय के यह श्मशान बने हुए हैं। श्मशान ग्रह की चिमनियों से निकलने वाला धुआं सीधे पास की बड़ी इमारत में पहुंचता है और लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। राणे ने विधानसभा में सुझाव देते हुए कहा कि जनता बहुल इलाकों में बने श्मशान ग्रहों को हटाकर समुद्र के किनारे या फिर खुली जगहों में बनाया जा सकता है। जहां लोगों को प्रदूषण का खतरा कम रहेगा। राणे ने कहा कि यह समस्या बोरीवली की ही नहीं है, बल्कि जिस क्षेत्र वर्ली में वह रहते हैं वहां भी ऊंची-ऊंची इमारतों के बीच श्मशान ग्रह बने हुए हैं। वहां भी इस तरह की समस्या लोगों को झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से प्रदूषण भी होता है, जिस पर राज्य सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

बोरीवली में रहने वाली शालू मल्होत्रा का कहना है कि मैं जिस क्षेत्र में रहती हूं, वहां से चंद कदमों की दूरी पर ही श्मशान ग्रह है। जिससे हर समय बदबूदार धुंआ निकलता रहता है। जो बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों को नुकसान पहुंचा रहा है। शालू ने कहा कि सरकार को शहर के सभी श्मशान ग्रहों को बड़ी खुली जगह या फिर समुद्र के किनारे बना देना चाहिए। ऐसा करने से पर्यावरण को तो फायदा होगा ही, प्रदूषण भी कम होगा।

Created On :   30 Jun 2024 3:54 PM GMT

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