बॉम्बे हाईकोर्ट: उद्धव गुट सांसद संजय दीना को रहात, एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार को फटकार

उद्धव गुट सांसद संजय दीना को रहात, एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार को फटकार
  • अदालत ने पाटील के लोकसभा चुनाव जीत के खिलाफ पुनर्विचार याचिका किया खारिज
  • बीसीआई द्वारा कानून के छात्रों के आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी मांगने वाले परिपत्र में कुछ भी अवैध नहीं..बॉम्बे हाई कोर्ट
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने नासिक जिला को-ऑप बैंक (एनडीसीसी) के कृषि कर्ज वसूली में सख्ती के खिलाफ किसान संगठनों की जनहित याचिका पर राज्य सरकार को लगाई फटकार

Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट से सोमवार को शिवसेना के उद्धव गुट के सांसद संजय दीना पाटील को राहत मिली। अदालत ने पाटील के लोकसभा चुनाव जीत के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले पाटील की जीत के खिलाफ चुनाव याचिका पिछले साल 26 नवंबर को खारिज कर दी गई थी। न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने शाहजी थोरात की याचिका खारिज करते हुए कहा कि एक न्यायाधीश के रूप में मैंने एक दृष्टिकोण लिया है और वह दृष्टिकोण गलत हो सकता है, आप ऐसा कहने के हकदार हैं, लेकिन मैं इसे स्वयं सही नहीं कर सकता हूं। आप को अपील दायर करनी होगी। पीठ ने पुनर्विचार याचिका पर गुण-दोष पर विचार नहीं किया. याचिका में दावा किया गया था कि राज्य सरकार ने 14 मार्च 2024 को सभी सरकारी दस्तावेजों पर पिता के नाम के साथ-साथ माता का नाम भी अनिवार्य कर दिया था, जिसका उल्लेख पाटिल ने नहीं किया। इसलिए उनकी उम्मीदवारी को अमान्य घोषित किया जाना चाहिए। पाटिल ने मुंबई उत्तर-पूर्व लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के मिहिर कोटेचा पर लगभग 29800 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। इससे पहले अदालत से कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड और शिवसेना के शिंदे गुट के सांसद रविंद्र वायकर को भी चुनावी याचिका से राहत मिली थी।

बीसीआई द्वारा कानून के छात्रों के आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी मांगने वाले परिपत्र में कुछ भी अवैध नहीं..बॉम्बे हाई कोर्ट

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा कानून के छात्रों से उनके आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी मांगने वाले परिपत्र में में कुछ भी अवैध नहीं है। अदालत ने बीसीआई और मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा जारी परिपत्र को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने अशोक येंडे की जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि बीसीआई के कदम का स्वागत किया जाना चाहिए और इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता पीड़ित छात्र नहीं है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया को एक छात्र के आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए? इसमें क्या अवैध है? इससे किस कानून का उल्लंघन किया गया है? पीठ ने यह भी कहा कि बीसीआई ने छात्रों से केवल यह घोषणा करने को कहा है कि क्या उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड है? यह नहीं कहा है कि यदि कोई रिकॉर्ड है, तो उनका प्रवेश रद्द कर दिया जाएगा। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस तरह की शर्त लगाना कानून के छात्रों के प्रति भेदभावपूर्ण है, क्योंकि अन्य क्षेत्रों के छात्रों से इसकी आवश्यकता नहीं है। यह शर्त छात्रों के समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। बीसीआई ने अपने परिपत्र में कहा कि कानूनी पेशे के नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए कानून के छात्रों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी रखना चाहिए। परिपत्र के अनुसार अब सभी कानून के छात्रों को अपनी अंतिम मार्कशीट और डिग्री जारी होने से पहले किसी भी चल रही एफआईआर, आपराधिक मामले, दोषसिद्धि या बरी होने की घोषणा करनी होगी। ऐसी जानकारी का खुलासा न करने पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अंतिम मार्कशीट और डिग्री को रोकना भी शामिल है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने नासिक जिला को-ऑप बैंक (एनडीसीसी) के कृषि कर्ज वसूली में सख्ती के खिलाफ किसान संगठनों की जनहित याचिका पर राज्य सरकार को लगाई फटकार

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने नासिक जिला को-ऑप बैंक (एनडीसीसी) के किसानों से कृषि कर्ज पर अधिक ब्याज वसूली के खिलाफ किसान संगठनों की जनहित याचिका (पीआईएल) पर राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल नहीं करने पर फटकार लगाई। अदालत ने पीआईएल में भारतीय रिजर्व बैंक को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है। 24 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ के समक्ष प्रकाश बालकृष्ण शिंदे की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में एनडीसीसी बैंक के किसानों से मनमाने ढंग से ब्याज वसूलने और आरबीआई के एनडीसीसी बैंक के बकाए कर्ज को लेकर जारी परिपत्र को चुनौती दी गई है। पीठ ने जनहित याचिका में भारतीय रिजर्व बैंक को पार्टी बनाने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता वकील ने अनुरोध किया कि उन्हें जनहित याचिका में भारतीय रिजर्व बैंक को दो सप्ताह का समय दिया जाए। पीठ ने सभी प्रतिवादियों (पार्टी) हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए 24 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई रखी है। एनडीसीसी बैंक संचालकों के गैर जिम्मेदारी से किसानों को कर्ज दिए जाने से 2300 करोड़ रुपए से अधिक कर्ज बकाया है। याचिका में दावा किया गया है कि बैंक किसानों को दिए कर्ज कर्ज पर अधिक ब्याज ले रही है। बैंक ने किसानों से कर्ज वसूली की कार्रवाई तेज कर दी है। किसाने की जमीन से जुड़े कागजात पर बैंक के नाम लिखे जा रहे हैं और उनकी जमीन को नीलाम करने की नोटिस भेजी जा रही है। इससे किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। याचिका में सहकारी संस्थानों से किसानों द्वारा लिए गए कृषि कर्ज पर ब्याज की अधिकतम वसूली को सीमित करने का अनुरोध किया गया है।

Created On :   10 Feb 2025 9:12 PM IST

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