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बॉम्बे हाईकोर्ट: वाधवन बंदरगाह निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज, आदालत का फैसला
- पालघर के वाधवन बंदरगाह के निर्माण का रास्ता साफ
- बंदरगाह निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क, मुंबई. पालघर के डहाणू के वाधवन बंदरगाह के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बंदरगाह के निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका समेत सभी याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि हमें वाधवन बंदरगाह के निर्माण के लिए पिछले साल 31 जुलाई को डहाणू तालुका पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण (डीटीईपीए) द्वारा दी गई मंजूरी में हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार नहीं मिलता है। न्यायमूर्ति ए.एस. चंदूरकर और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ के समक्ष सामाजिक संस्था कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट की जनहित याचिका समेत 7 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि प्राधिकरण ने सभी पहलुओं पर विचार किया है। तटवर्ती क्षेत्र से लगभग 6 किलोमीटर मैंग्रोव संरक्षण पर भी ध्यान दिया गया है। इसमें याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई चिंताओं पर भी विचार किया गया है। डीटीईपीए ने राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएससीएम) रिपोर्ट के साथ-साथ नेशनल सेंटर ऑफ कोस्टल रिसर्च (एनसीसीआर) की रिपोर्ट पर भी भरोसा किया है। इसे देखते हुए वाधवन बंदरगाह के निर्माण को मंजूरी दी जानी चाहिए।
अदालत ने पाया कि भारतीय तटों के तट रेखा परिवर्तन एटलस पर रिपोर्ट 5 से 6 साल के आंकड़ों पर आधारित थी। जबकि एनसीएससीएम रिपोर्ट लगभग 24 वर्षों के आंकड़ों पर आधारित थी। वाधवन बंदरगाह के तट रेखा से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया जाना था। यह तटीय क्षेत्र डहाणू तहसील के क्षेत्र से दूर केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। 1986 के अधिनियम की धारा 3 के तहत एक प्राधिकरण के रूप में डीटीईपीए ने इस मुद्दे से संबंधित सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार किया है। इसमें विभिन्न विषयों की निरंतर निगरानी के लिए एक निगरानी समिति का गठन कर विभिन्न उपायों का भी प्रस्ताव है। सभी हितचिंतकों के साथ-साथ परियोजना से संबंधित सभी लोगों की शिकायतों पर विचार करने के लिए एक शिकायत समिति भी गठित की गई है। जेएनपीए भारत का प्रमुख कंटेनर हैंडलिंग पोर्ट है, जो अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार में संचालित सभी प्रमुख कंटेनर शिपिंग लाइनों द्वारा संरक्षित गेटवे पोर्ट के रूप में कार्य करता है। देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की अनुमानित मांग को देखते हुए एक प्रमुख बंदरगाह के निर्माण के लिए स्थलों की पहचान करने के लिए विस्तृत अध्ययन किया गया, जहां बड़े जहाज साल भर रुक सके और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार किया जा सके।
इसके बाद पालघर के डहाणू में वाधवान बंदरगाह प्रस्तावित किया गया था, क्योंकि यहां एक आधुनिक सभी मौसम वाले बंदरगाह के निर्माण के लिए अद्वितीय प्राकृतिक विशेषताएं थीं। बंदरगाह में प्राकृतिक रूप से 18 मीटर का ड्राफ्ट और 20 मीटर का नेविगेशनल चैनल उपलब्ध है, जो पूंजी और रखरखाव ड्रेजिंग को काफी हद तक कम कर सकता है। प्रस्तावित परियोजना की लागत 76 हजार 220 करोड़े रुपए होने का अनुमान है। कुल परियोजना क्षेत्र 17471 हेक्टेयर है, जिसमें से 16906 हेक्टेयर बंदरगाह सीमा और 571 हेक्टेयर बंदरगाह सीमा के बाहर है। बंदरगाह, जहाजरानी और जल मार्ग मंत्रालय के मुताबिक वाधवन बंदरगाह एक राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण परियोजना है। इसे केंद्र सरकार के "सागरमाला" कार्यक्रम का हिस्सा भी बताया गया है, जिसका लक्ष्य बंदरगाहों के माध्यम से देश के लॉजिस्टिक क्षेत्र के प्रदर्शन को बढ़ाना है
Created On :   18 April 2024 8:05 PM IST