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बॉम्बे हाईकोर्ट: मनसे प्रमुख राज ठाकरे को बड़ी राहत, एसईसी आदेश के उल्लंघन के लिए एफआईआर रद्द
- अदालत ने एसईसी आदेश के उल्लंघन के लिए 2010 में डोंबिवली में दर्ज एफआईआर को किया रद्द
- मनसे प्रमुख राज ठाकरे को राहत
- याचिका पर फैसला सुनवाया
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट से शुक्रवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उनके खिलाफ राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के आदेश के उल्लंघन के लिए 2010 में डोंबिवली में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। ठाकरे ने वकील सयाजी नांगरे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले को रद्द करने की मांग की थी। उन पर कल्याण डोंबिवली महानगर पालिका क्षेत्र में चुनाव के दौरान तय समय से अधिक समय तक रहकर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप था।
न्यायमूर्ति अजय एस गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम छगनलाल चांडक की खंडपीठ ने शुक्रवार को राज ठाकरे के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में उनकी याचिका पर फैसला सुनवाया। खंडपीठ ने राज के खिलाफ दर्द एफआईआर को रद्द कर दिया। वकील नांगरे ने ठाकरे की याचिका में तर्क दिया था कि सीआरपीसी की धारा 188 संज्ञेय अपराध है और इसलिए कार्यवाही एफआईआर के माध्यम से नहीं, बल्कि मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत के माध्यम से शुरू की जा सकती है।अदालत ने 27 अप्रैल 2015 को उनकी याचिका लंबित रहने तक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था।
राज ठाकरे 2010 में कल्याण और डोंबिवली महानगरपालिका के चुनाव में प्रचार के लिए गए थे। राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के 9 अप्रैल के परिपत्र के अनुसार 29 सितंबर 2010 तक चुनाव प्रचार पूरा किया जाना था। सर्कुलर का हवाला देते हुए पुलिस उपायुक्त ने राज ठाकरे को नोटिस जारी कर उस 29 सितंबर 2010 को रात 10 बजे के बाद केडीएमसी क्षेत्र में नहीं रहने को कहा गया था। नोटिस के अनुसार उन्हें किसी भी राजनीतिक दल के कार्यालय, आवास, होटल, लॉज, गेस्ट हाउस में नहीं जाने के लिए कहा गया था। इसका उल्लंघन करने पर उन्हें लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 के तहत अभियोजन का सामना करना पड़ सकता है। नोटिस के उल्लंघन के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 188 (एक लोक सेवक द्वारा आदेश की अवज्ञा) के तहत ठाकरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
Created On :   10 Nov 2023 8:01 PM IST