New Delhi News: मराठी अमृत भाषा में वीरता है, 98वें मराठी साहित्य सम्मेलन का पीएम ने किया उद्घाटन

मराठी अमृत भाषा में वीरता है, 98वें मराठी साहित्य सम्मेलन का पीएम ने किया उद्घाटन
  • मराठी भाषा में किया आभार व्यक्त
  • पवार को बढ़ाया पानी भरा गिलास

New Delhi News. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मराठी भाषा की खूबियों और बारीकियां का जिक्र करते हुए इसे अमृत भाषा करार दिया है। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा अमृत से भी अधिक मीठी है। मराठी एक सम्पूर्ण भाषा है। उन्होंने कहा कि इसमें शूरता भी है, वीरता भी है। यह भाषा सौंदर्य, संवेदना, समानता और समरसता से भरी हुई है। इसमें अध्यात्म के स्वर भी हैं और आधुनिकता की लहर भी है। उन्होंने कहा कि मराठी में भक्ति, शक्ति और युक्ति भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को विज्ञान भवन में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन रविवार तक चलेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद) के अध्यक्ष शरद पवार समेत तमाम हस्तियां उपस्थित रहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस आयोजन के लिए मराठी भाषा में भी आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की धरती पर मराठी भाषा के इस गौरवशाली कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन एक भाषा या राज्य तक सीमित आयोजन नहीं है, मराठी साहित्य के इस सम्मेलन में आजादी की लड़ाई की महक है। इसमें महाराष्ट्र और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत है।

मराठी भाषी ने की 100 वर्ष पूर्व आरएसएस की स्थापना

प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के संस्थापक डॉ केशव बलिराम राव हेडगेवार को भी याद किया। उन्होंने डॉ हेडगेवार का नाम लिए बगैर कहा कि आज हम इस बात पर भी गर्व करेंगे कि महाराष्ट्र की धरती पर मराठी भाषी एक महापुरुष ने 100 वर्ष पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बीज बोया था। मोदी ने कहा कि मेरे जैसे लाखों लोगों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के लिए जीने की प्रेरणा दी है और संघ के ही कारण मुझे मराठी भाषा और मराठी परंपरा से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कितने ही संतों ने भक्ति आंदोलन के जरिए मराठी भाषा में समाज को नई दिशा दिखाई। गुलामी के सैकड़ों वर्षों के लंबे कालखंड में मराठी भाषा आक्रांताओं से मुक्ति का भी जयघोष बनी।

भाषा के नाम पर भेद डालने की कोशिश

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भाषा के नाम पर हो रही राजनीति की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि कई बार जब भाषा के नाम पर भेद डालने की कोशिश की जाती है, तो हमारी भाषाओं की साझा विरासत ही उसका सही जवाब देती है। इन भ्रमों से दूर रहकर भाषाओं को समृद्ध करना, उसे अपनाना हमारा सामाजिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में कभी कोई आपसी वैर नहीं रहा। भाषाओं ने हमेशा एक दूसरे को अपनाया है, एक दूसरे को समृद्ध किया है।

पवार को बढ़ाया पानी भरा गिलास

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ नेता शरद पवार के प्रति प्रधानमंत्री मोदी ने आदर प्रकट किया। शरद पवार जब अपना संबोधन समाप्त कर कुर्सी पर बैठे तो इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पानी से भरा गिलास उनकी ओर बढ़ाया। यह नजारा देखकर विज्ञान भवन तालियों की आवाज से गूंज उठा।

98वें मराठी साहित्य सम्मेलन के अवसर पर भव्य पुस्तक पदयात्रा का आयोजन

उधर राष्ट्रीय राजधानी में 98वें मराठी साहित्य सम्मेलन के अवसर पर शुक्रवार को एक भव्य पुस्तक पदयात्रा का आयोजन किया गया। दिल्ली का तालकटोरा स्टेडियम पूरी तरह से मराठी रंग में रचा-बसा नजर आया। इस दौरान पारंपरिक पोशाक पहने मराठी लोग लोक नृत्य कर रहे थे और ‘अभिजात मराठी’ के नारे लगा रहे थे। पुस्तक पदयात्रा की शुरुआत यहां रकाबगंज गुरुद्वारा के पास शास्त्रों की पूजा और ध्वजारोहण के साथ हुई। इस अवसर पर सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. तारा भावलकर, भारतीय राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष मिलिंद मराठे, सांसद सुप्रिया सुले, सरहद संस्था के अध्यक्ष संजय नाहर सहित अनेक वरिष्ठ साहित्यकार, दिल्ली और महाराष्ट्र से हजारों मराठी बंधुओं ने मराठी वेशभूषा में बड़े उत्साह के साथ पदयात्रा में भाग लिया। पुस्तक यात्रा में शामिल रथ को संत ज्ञानेश्वर, छत्रपति शिवाजी महाराज, किलों और दुर्गों की तस्वीरों से सजाया गया था। दिल्लीवासियों ने उत्साहपूर्ण स्वागत किया। 98वें अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के अवसर पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक विशेष रथ तैयार किया गया था। इस रथ के माध्यम से देश की राजधानी में महाराष्ट्र की शास्त्रीय भाषा और संस्कृति का प्रदर्शन किया गया।

Created On :   21 Feb 2025 10:16 PM IST

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