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Mumbai News: स्ट्रेचर पर 24 घंटे कराहता रहा किसान, उपचार के बजाय सर्कुलर पर बहस करते रहे दो डॉक्टर

- पिता को एडमिट करने के लिए मिन्नतें करता रहा बेटा, डॉक्टरों को नहीं आया रहम
- स्ट्रेचर पर 24 घंटे कराहता रहा किसान, हॉस्पिटल में भर्ती कर उपचार शुरू करने के बजाय सर्कुलर पर बहस करते रहे दो डॉक्टर
- लापरवाही: सायन अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना
Mumbai News. मोफीद खान। मुंबई मनपा (बीएमसी) के सायन अस्पताल में मानवता को शर्मसार करनेवाला मामला सामने आया है। सोलापुर में 11 फरवरी को दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल किसान बालू कटके (87) को परिजन उपचार के लिए मुंबई लाए थे। लेकिन अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज शुरू करने के बजाय दो डॉक्टर अस्पताल के डीन की ओर से जारी सर्कुलर पर बहस करते रहे। लगभग 24 घंटे तक कटके स्ट्रेचर पर कराहते रहे। पिता को शीघ्र भर्ती करने के लिए उनका बेटा बार-बार मिन्नतें करता रहा। मगर डॉक्टरों को रहम नहीं आया। डीन ने लिखित आदेश दिया। इसके बाद कटके को भर्ती किया गया। किसान बालू कटके सोलापुर की अकलूज तहसील के रहनेवाले हैं। हादसे में उनके सिर पर गंभीर चोट लगी थी। परिजन ने उन्हें अकलूज के अश्विनी अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन 23 दिन बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद दो दिन पहले उन्हें इलाज के लिए मुंबई लाया गया।
छह घंटे में मुंबई पहुंची एंबुलेंस
कटके के बेटे विष्णु ने बताया कि छह घंटे के सफर के बाद एंबुलेंस सायन अस्पताल पहुंची। आपातकालिन विभाग में मौजूद ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टर परेश और न्यूरो विभाग के डॉक्टर शेतना मरीज की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं थे। दोनों डॉक्टरों के बीच इसी मुद्दे पर बहस चल रही थी। इस बहस के बाद आपातकालीन विभाग के डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन द्वारा निजी अस्पतालों से आए मरीजों को भर्ती न करने के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें एडमिट करने से मना कर दिया। अस्पताल के डीन डॉ. मोहन जोशी से इस मामले में जब पूछा गया तो उन्होंने कार्यक्रम में व्यस्त होने की बात कह मामले को टाल दिया।
सहायक मेडिकल अफसर से मांगी मदद
इसके बाद विष्णु डीन कार्यालय पहुंचे। सहायक मेडिकल अफसर डॉ. रणधीर सिंह को बताया कि वह बीएमसी कर्मचारी हैं। इसके बाद डॉ.सिंह ने दोनों डॉक्टरों से कटके को भर्ती करने का अनुरोध किया। लेकिन वह सुनने के मूड में नहीं थे। डॉ. परेश ने रिश्तेदारों को बता दिया था कि मरीज 87 वर्ष के हैं, इसलिए इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह बचेंगे।
24 घंटे बाद आईसीयू में भर्ती किया
विष्णु ने बताया कि उनके पिता 24 घंटे तक अस्पताल के आपातकालीन विभाग में स्ट्रेचर पर पड़े रहे। वरिष्ठों के कहने पर उन्हें मात्र स्लाइन चढ़ाया गया। आखिरकार सांसद संजय दीना पाटील के हस्तक्षेप के बाद उनके पिता को आईसीयू में भर्ती किया गया।
संजय दीना पाटील, सांसद-उत्तर-पूर्व मुंबई के मुताबिक लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टरों का ऐसा रवैया ठीक नहीं है। लापरवाही के कारण मरीज की जान जा सकती थी। मुंबई मनपा के सभी अस्पताल वेंटिलेटर पर हैं और यह मुद्दा उन्होंने स्वयं संसद में उठाया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में वे मनपा आयुक्त भूषण गगरानी से शिकायत करेंगे और उक्त डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।
Created On :   11 March 2025 9:29 PM IST