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बॉम्बे हाईकोर्ट: पानसरे हत्या की जांच निगरानी समाप्त, तेलतुंबडे ने खटखटाया दरवाजा, कोल्हापुर जिला अधिकारी को फटकार
- अदालत ने मामले में कोल्हापुर सेशन कोर्ट में चल रहे मुकदमे को दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ाने का भी आदेश
- तेलतुंबडे ने भीमा कोरेगांव मामले से बरी होने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने गांव के करीब पत्थर तोड़ने के प्लांट से हो रहे वायु प्रदूषण को लेकर कोल्हापुर के जिला अधिकारी को लगाई फटकार
Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता गोविंद पानसरे की 2015 में हुई हत्या की जांच की निगरानी की अब जरूरत नहीं है।अदालत ने न्याय में तेजी लाने के लिए कोल्हापुर सेशन कोर्ट में चल रहे मुकदमे को दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ाने का भी आदेश दिया। पिछले साल फरवरी में अदालत ने महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस)को पानसरे के परिजनों द्वारा दी गई जानकारी की जांच करने के लिए कहा था। परिवार के मुताबिक पानसरे की हत्या उनकी पुस्तक "शिवाजी कोण होता (शिवाजी कौन थे)' के कारण की गई थी। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने गुरुवार को अपने फैसले में कहा कि दो आरोपी अभी भी फरार हैं, लेकिन उनकी गिरफ्तारी से अदालत की लगातार दखलअंदाजी को उचित नहीं ठहराया जा सकता। पीठ ने निर्देश दिया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद मामले की जानकारी कोल्हापुर की निचली अदालत को सौंपी जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस न्यायालय द्वारा आगे की जांच की निरंतर निगरानी की आवश्यक नहीं है। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के अनुसार निचली अदालत को रिपोर्ट कर सकती है। पीठ ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई 16 दिसंबर 2024 को शुरू हो चुकी है और अभियोजन पक्ष ने 28 गवाहों से पूछताछ की है। पीठ ने विनीत नारायण और शाहिद बलवा मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मामले में आरोपपत्र दाखिल होते ही अदालत द्वारा निगरानी का काम खत्म हो जाएगा। पीठ ने मामले की हाई कोर्ट द्वारा निरंतर निगरानी के खिलाफ कुछ आरोपियों की हस्तक्षेप याचिकाओं का भी निपटारा किया। अदालत ने 3 अगस्त 2022 को महाराष्ट्र आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के विशेष जांच दल (एसआईटी) से मौत की जांच एटीएस को सौंपी थी। पानसरे को 16 फरवरी 2015 को कोल्हापुर में बाइक सवार हमलावरों ने गोली मार दी थी और चार दिन बाद मुंबई के एक अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई थी। पानसरे के परिवार ने बार-बार हत्या के पीछे मुख्य साजिशकर्ताओं के फरार होने की चिंता व्यक्त की है।
आनंद तेलतुंबडे ने भीमा कोरेगांव मामले से बरी होने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
वहीं दलित अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे ने मई 2024 में भीमा कोरेगांव मामले से बरी होने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। विशेष एनआईए अदालत ने इस मामले में तेलतुम्बडे को बरी करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति एम.एस.मोडक की पीठ के समक्ष गुरुवार को आनंद तेलतुंबडे की याचिका सुनवाई के लिए आई। पीठ ने इस मामले से खुद को अलग करने का फैसला किया। पीठ ने कहा कि उन्होंने एकल न्यायाधीश के रूप में इस मामले में बहुत सारी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की है। इसलिए इस पर एक अलग पीठ द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने तेलतुंबडे के खिलाफ मामला दर्ज किया है कि वह दिसंबर में एल्गर परिषद कार्यक्रम के संयोजकों में से एक थे। उन्होंने भड़काऊ भाषण भी दिए थे, जिसके कारण 1 जनवरी 2018 को दंगे भड़के थे। इस मामले में वह जमानत पर बाहर हैं। जुलाई 2021 में विशेष एनआईए अदालत ने उनकी जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सदस्य हैं। हालांकि नवंबर 2022 में हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गांव के करीब पत्थर तोड़ने के प्लांट से हो रहे वायु प्रदूषण को लेकर कोल्हापुर के जिला अधिकारी को लगाई फटकार
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को गांव के करीब पत्थर तोड़ने के प्लांट से हो रहे वायु प्रदूषण को लेकर कोल्हापुर के जिला अधिकारी को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि लोग वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं और आप लोग लेटर लेटर खेल रहे हो। नियम के मुताबिक रिहायशी इलाके से 500 मीटर के अंदर पत्थर तोड़ने के प्लांट को इजाजत नहीं दी जा सकती है। क्या महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) मौके का मुआयना करके प्लांट को लगाने की इजाजत दी गई? अदालत ने एमपीसीबी के सचिव को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है और 28 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई रखा है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष पूर्व सरपंच संजय महिपति लाले की ओर से वकील पृथ्वीराज गोले की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील पृथ्वीराज गोले ने दलील दी कि कोल्हापुर के शाहुवाडी तहसील स्थित कडावे गांव के 92 परिवारों के केवल 27 मीटर की दूरी पर पत्थर तोड़ने के प्लांट को इजाजत दी गई है, जिससे प्लांट से होने वाले वायु प्रदूषण से ग्रामीणों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। कई लोग सांस की बीमारियों से जूझ रहे हैं। पर्यावरण नियम के मुताबिक 500 मीटर के अंदर रिहायशी इलाके में वायु प्रदूषण करने वाले किसी भी प्लांट को अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सरकारी वकील से पूछा कि वायु प्रदूषण फैलाने वाले प्लांट को लेकर जिला अधिकारी ने क्या कदम उठाया? इसके जवाब में सरकारी वकील ने कहा कि जिलाधिकारी ने एमपीसीबी को पत्र लिख कर वायु प्रदूषण के प्लांट को इजाजत देने पर जवाब मांगा था और उस पर उचित कदम उठाने को कहा था, लेकिन एमपीसीबी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इस पर पीठ ने कहा कि लोग वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं और आप लेटर-लेटर का खेल रहे हो। कोल्हापुर के जिला अधिकारी को कड़े कदम उठाने चाहिए थे। नियम के मुताबिक 500 मीटर के अंदर रिहायशी इलाके में वायु या जल प्रदूषण वाले प्लांट को लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, तो एमपीसीबी ने कैसे कडावे गांव के 92 परिवारों से 27 मीटर की दूरी पर पत्थर तोड़ने के प्लांट को इजाजत दी गई। पीठ ने 28 जनवरी को अगली सुनवाई के पहले एमपीसीबी के सचिव से जवाब देने निर्देश दिया है और प्लांट चलाने वालों को नोटिस जारी किया है।
Created On :   2 Jan 2025 8:48 PM IST