Mumbai News: विश्व गौरैया दिवस के मौके पर जहां गौरैया वहां घोसला और फीडर पॉट रखने की अपील

विश्व गौरैया दिवस के मौके पर जहां गौरैया वहां घोसला और फीडर पॉट रखने की अपील
  • 50 देशों तक पहुंचा गौरैया बचाओ अभियान
  • जनभागीदारी से मुंबई में बढ़ रही गौरैया की संख्या
  • 20 वर्ष पहले शुरू किए गए बचाव अभियान से संख्या कम होने पर लगाम

Mumbai News. ओमप्रकाश तिवारी। बीस साल पहले नाशिक के एक छोटे से गांव से मोहम्मद दिलावर और उनके भाई ने गौरैया बचाओ अभियान की शुरुआत की थी। जो अब 50 देशों तक पहुंच गया है। जब यह अभियान शुरू हुआ था तो आम लोगों की तरह वैज्ञानिक भी इस पर विश्वास नहीं कर रहे थे कि गौरैया की संख्या तेजी से घट रही है। लेकिन भारत में जब गिद्ध खत्म होने लगे तब लोगों को भरोसा होने लगा कि गौरैया की संख्या तेजी से घट रही है।

गौरैया बचाने के लिए मोहम्मद दिलावर की मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे ‘नेचर फॉरएवर सोसायटी' का अभियान जनभागीदारी में बदल गया। मुंबई जैसे शहर में सीमेंट-कंक्रीट की इमारतें तैयार हो रही हैं। कांच की इमारतें गौरैया के लिए अनुकूल नहीं है वह बड़ी संख्या में बन रही हैं। इससे गौरैया का प्राकृतिक आवास गायब हो गया है। जिस गौरैया की चहचहाहट से दिन की शुरुआत होती थी, वह कई इलाकों से दुर्लभ हो गई है। गौरैया पिछले 10 हजार साल से इंसानों के साथ ही जीने की आदी हो गई हैं। प्राकृतिक आवास खत्म होने के कारण चिड़ियों का प्रजनन नहीं हो रहा है।

शहरीकरण ने उजाड़ा

गौरैया को बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढालना पड़ता है।मुंबई में घटते पेड़, इंसानों के खान-पान में बदलाव, बढ़ते आधुनिकीकरण, गगनचुंबी इमारतों में वृद्धि के कारण गौरैया मुंबई के बाहरी इलाकों में पलायन कर रही हैं। पहले मिट्‌टी के घर, छप्पर में गौरैया अपना घोसला बनाती थीं। लेकिन उसकी जगह सीमेंट कंक्रीट की इमारतों ने ली है।

20 मार्चको नेचर फॉरएवर सोसाइटी ने मनपा उद्यान विभाग के सहयोग से उन लोगों को सम्मानित किया जो गौरैया की संख्या बढ़ाने में संस्था को सहयोग कर रहे हैं। इस अवसर पर उद्यान अधीक्षक जितेंद्र परदेशी, रानीबाग जू के संचालक संजय त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी उपस्थित थे। नेचर फॉरएवर सोसायटी की तरफ से अब तक 10 लाख से अधिक घोसले और खाने के बर्तन वितरित किए गए हैं। हालांकि लोग अब खुद गौरैया बचाने के लिए सोसायटियों में फीडर पॉट लगा रहे हैं। विक्रोली की गोदरेज सोसायटी में गौरैया को जरुरी सुविधाएं उपलब्ध कराने से उनकी संख्या बढ़ रही है। पुणे की रोजलैंड सोसायटी जहां केवल 20 गौरैया बची थी इस समय गौरैया की संख्या करीब 3000 हो गई है।

मोहम्मद दिलावर, अध्यक्ष,नेचर फॉरएवर सोसायटी के मुताबिक गौरैया की संख्या करीब 70 प्रतिशत तक घटीहै। लेकिन बीते 20 वर्षों में गौरैया बचाओ अभियान के कारण उनकी संख्या थमी है। हमारी संस्था पूरे देश में गौरैया बचाओ अभियान में लगी हुई है। 50 हजार से अधिक लोग गौरैया बचाओ अभियान से जुड़े हैं। बिहार सरकार ने तो गौरैया को अपना राज्य पक्षी घोषित किया है। हमारे पास फंडिंग की कमी है। इसलिए बड़ी संख्या में घोसला और फीडर पॉट उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। हम लोगों से अपील करते हैं कि चिड़िया को विलुप्त होने से बचाने के लिए अपने आस-पास घोसला और खाने के बर्तन लगाएं।


Created On :   21 March 2025 12:54 PM

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