- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- आभूषण और मोइसैनाइट पत्थरों पर निवेश...
Mumbai News: आभूषण और मोइसैनाइट पत्थरों पर निवेश के बदले ज्यादा ब्याज की योजना में फंसे पैसे
- सीए ने ऑडिट रिपोर्ट में गड़बड़ी के बाद पुलिस को दी थी जानकारी
- टोरेस कंपनी मामला, ऑडिट रिपोर्ट से हुआ एक हजार करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश
Mumbai News. टोरेस कंपनी धोखाधड़ी मामले में मुंबई पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह सिर्फ 13 करोड़ नहीं, बल्कि एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी का मामला है। इसका पर्दाफाश सीए की ऑडिट रिपोर्ट के जरिये सामने आया है। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, टोरेस कंपनी ने ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी चार्टर्ड एकाउंटेट (सीए) अभिषेक गुप्ता को नवंबर 2024 में सौंपी थी। गुप्ता ने जब ऑडिट करना शुरू किया तो उन्हें कंपनी से जुड़े लेन-देन में गड़बड़ियां नजर आईं। इस बारे में जानकारी हासिल करने की कवायद में सीए को पता चला कि टोरेस कंपनी आंगडिया के जरिए 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम अवैध तरीके से विदेश भेज चुकी है। ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा होने के बाद अभिषेक गुप्ता ने 3 जनवरी 2024 को इसकी जानकारी मुंबई पुलिस को दी थी। इसके बाद मुंबई पुलिस ने इसकी जांच शुरू की। लेकिन इस बीच 5 जनवरी की रात इस घोटाले का पर्दाफाश हो गया और दादर में टोरेस कंपनी के कार्यालय के सामने निवेशकों की भीड़ इकट्ठा हो गई। सीए अभिषेक गुप्ता वही शख्स हैं, जिन पर घोटाला सामने आने के बाद टोरेस कंपनी ने लूटने का आरोप लगाया था।
वहीं दूसरी तरफ टोरेस कंपनी में घोटाला उजागर होने के बाद उसमें निवेश करने वाले पीड़ितों के सामने आने का सिलसिला जारी है। वे लगातार शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन और ईओडब्ल्यू के पास अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। मुंबई पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक एक हजार से ज्यादा पीड़ितों ने शिकायत दर्ज कराई है और यह सिलसिला जारी है। सूत्रों को अनुसार यह घोटाला एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का हो सकता है।
फरार डायरेक्टर के खिलाफ एलओसी जारी
पुलिस के मुताबिक, टोरेस कंपनी की शुरुआत फरवरी 2024 में हुई थी और जून 2024 में कंपनी ने निवेश की योजना शुरू की थी। जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि 29 दिसंबर को कंपनी ने कांदिवली इलाके में अपनी नई शाखा खोली थी। पुलिस के मुताबिक, कंपनी में दो बोर्ड डायरेक्टर थे, जिसमें से एक गिरफ्तार आरोपी सर्वेश सुर्वे था। जिसे 22 हजार रुपए की वेतन दिया जा रहा था और उसे पता भी नहीं था कि वह बोर्ड ऑफ डायरेक्टर है। जबकि दूसरी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर यूक्रेन की रहने वाली और फरार आरोपी विक्टोरिया कोवलेंको हैं। पुलिस के मुताबिक यह कंपनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धोखाधड़ी कर रही थी। फरार आरोपी विक्टोरिया कोवलेंको और सीईओ तौफीक रियाज उर्फ जॉन कार्टर के खिलाफ पुलिस ने लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी कर दिया है। इस प्रकरण में जल्द ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बी जांच शुरू की जा सकती है।
किरीट सोमैया ने की पुलिस आयुक्त से मुलाकात
इस मामले को लेकर बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने बुधवार को मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फंसलकर से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान सोमैया ने पुलिस से जल्द से जल्द इसमें शामिल अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने और लोगों के डूबे पैसों को रिकवर करने की मांग की।
कैसे हुई धोखाधड़ी
कंपनी ने आभूषणों और मोइसैनाइट पत्थरों में निवेश पर 6% साप्ताहिक रिटर्न का वादा किया था। निवेशक10 हजार रुपए की अंगूठी या मोइसैनाइट पत्थर खरीद सकते थे और रसीद प्राप्त कर सकते थे। इस योजना में 52 सप्ताह तक 600 रुपएका साप्ताहिक रिटर्न देने का वादा किया गया था।जो मूल निवेश से तीन गुना अधिक था।
शुक्रवार का इंतजार कर रहे निवेशक
टोरेस घोटाला सामने आने के बाद अभी भी कुछ निवेशकों का कंपनी पर भरोसा कायम है। इस कंपनी में निवेश करने वाली आरती विश्वकर्मा ने बताया की उन्होंने खुद भी निवेश किया है और मित्रों से भी निवेश करवाया है। उन्हें अभी उम्मीद है कि पैसे मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल वॉट्सएप चैनल पर कंपनी ने शुक्रवार तक ब्याज देने की बात कही है। हम अभी इंतजार करना चाहते हैं। इसलिए हमने कितना निवेश किया था, यह बताना उचित नहीं है। कंपनी में पैसे लगाने वाले राज पाटकर ने बताया कि मोबाइल एप और वॉट्सएप के जरिये शुक्रवार तक ब्याज मिलने की बात पता चली हैइसलिए वे शुक्रवार का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बीते साल जुलाई महीने में निवेश किया था और परिचितों से भी निवेश करवाया था। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें लोगों ने ज्यादा ब्याज पाने के लिए अपने रिस्क पर निवेश किया था।
Created On :   8 Jan 2025 10:33 PM IST