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Mumbai News: संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में रहने वाले पात्र व्यक्तियों के पुनर्वास को लेकर राज्य सरकार को फटकार
- राज्य सरकार ने अदालत से आदेश पर अमल के लिए मांगा समय
- 9 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई
Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी)के संरक्षित वन क्षेत्र में अनधिकृत रूप से रहने वाले पात्र व्यक्तियों के पुनर्वास को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने टिप्पणी कहा कि एनजीएनपी का मात्रात्मक योगदान मुंबई महानगर पालिका(बीएमसी) के वार्षिक बजट से अधिक है। अदालत ने इसको लेकर राज्य सरकार से 9 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आमिर बोरकर की पीठ के समक्ष सम्यक जनहित सेवा संस्था के विनायक भगत की ओर से दायर जनहित याचिका में एसजीएनपी के अंदर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों लोगों को पुनर्वास का अनुरोध किया गया है। पीठ ने कहा कि मुंबई में एसजीएनपी का योगदान बीएमसी के वार्षिक बजट से भी अधिक है। आप अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते। विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन किया गया है और मौद्रिक रूप में एसजीएनपी के योगदान को प्रमाणित किया गया है। यदि ये संख्याएं आगे नहीं बढ़ा सकतीं, तो उन्हें क्या आगे बढ़ा सकता है? राज्य के वन मंत्री सुधीर मुंगतिवार द्वारा जारी सितंबर 2022 की रिपोर्ट में एसजीएनपी के सेवाओं का आर्थिक मूल्य 15 करोड़ से अधिक आंका गया था।
पिछले दिनों अदालत ने सरकार से पात्र झोपड़ावासियों के पुनर्वास के लिए तत्काल योजना बनाने को कहा था। झोपड़ावासियों के पुनर्वास प्रक्रिया को कैसे तेज किया जा सकता है? यह देखने के लिए जुलाई 2023 में वन मंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) का गठन किया गया था।
राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने सोमवार को यह कहते हुए कुछ और समय मांगा कि एचपीसी मुख्यमंत्री के साथ बैठक का इंतजार कर रही है। इस मामले में ठोस निर्णय पर पहुंचने की प्रक्रिया में कुछ और समय लगने की संभावना है। उन्होंने ने कहा कि सरकार ने छह निविदाएं जारी की गईं, लेकिन इसको लेकर कोई भी सामने नहीं आया। हमें एक दीर्घकालिक समाधान खोजने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि शीर्ष पर बैठे लोगों को यह (एसजीएनपी का महत्व) समझना चाहिए। हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। सरकार एचपीसी से संरक्षित वन के अंदर रहने वालों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए हलफनामा दाखिल करे।
पीठ ने महाधिवक्ता से कहा कि वह एचपीसी के साथ समन्वय उसे जल्द से जल्द समाधान निकालने के लिए राजी करें। अदालत ने 1997 में अधिकारियों को सजीएनपी के बस्तियों में पानी, बिजली और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं को बंद करने का निर्देश दिया था और उन्हें बस्तियों को हटाने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि आगे कोई अतिक्रमण न हो।
Created On :   24 Sept 2024 9:19 PM IST