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Mumbai News: महिला वकील-पुलिसकर्मी समेत सैंकड़ों को शादी का झांसा देकर धोखा देने वाले को जमानत नहीं
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने 4 साल से जेल में बंद आरोपी को जमानत देने से किया इनकार
- दूसरे केस में बॉम्बे हाई कोर्ट से एक व्यक्ति को उनकी मां और बहन से उनके नाबालिग बच्चों से मिलने की मिली इजाजत
Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिला वकील और पुलिसकर्मी समेत सैंकड़ों लड़कियों को शादी का झांस देकर धोखाधड़ी करने वाले कुख्यात आरोपी सचिन दिलीप सांबारे को जमानत देने से इनकार कर दिया। पीड़िता के वकील प्रशांत पांडे और वकील दिनेश जाधवानी के कड़े विरोध के बाद अदालत ने दूसरे बार अदालत आरोपी की जमानत याचिका खारिज की है। उसे नवी मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 2020 गिरफ्तार किया था। न्यायमूर्ति मनीष पितले की एकलपीठ के समक्ष सचिन दिलीप सांबारे की ओर से वकील मंशा खेमका की दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में याचिकाकर्ता के चार साल से जेल में बंद होने और निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई में देरी होने का हवाला देकर जमानत की मांग की गई। पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा स्वयं सत्र न्यायालय के समक्ष अपने मामले में आगे कार्यवाही करने के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं किया। यदि याचिकाकर्ता स्वयं अदालत से वर्तमान जमानत आवेदन के लंबित होने के आधार पर स्थगन मांग रहा था, तो उसे पलटकर मुकदमा लंबित रहने तक लंबी कैद का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीड़िता के वकील प्रशांत पांडे ने पीठ के संज्ञान में लाया गया है कि याचिकाकर्ता की ओर से सत्र न्यायालय में दाखिल किए गए डिस्चार्ज के आवेदन इसीलिए लंबित रह गया है, क्योंकि विशेष रूप से याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय से बार-बार स्थगन की आदेश मांग की गई। पीड़िता के वकील की दलील को स्वीकार कर आरोपी की याचिका खारिज कर दी।
क्या है पूरा मामला
पालघर निवासी सचिन सांबारे जीवनसाथी डॉट कॉम और शादी डॉट कॉम जैसी वैवाहिक वेबसाइटों पर फर्जी आइडी बनाकर हाई-प्रोफाइल लड़कियों और महिलाओं को अपने जाल में फंसाता था और उनसे शादी कर उनके साथ कुछ दिन रहता था। बाद में उनके साथ धोखाधड़ी कर फरार हो जाता था। उसने इस जलसा जी में महिला पुलिसकर्मी और महिला वकील समेत सैंकड़ों लड़कियों और महिलाओं धोखाधड़ी का शिकार बनाया। महिला वकील ने नवी मुंबई के रवाले पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया और वह तलोजा जेल में बंद है।
बॉम्बे हाई कोर्ट से एक व्यक्ति को उनकी मां और बहन से उनके नाबालिग बच्चों से मिलने की मिली इजाजत
दूसरे केस में बॉम्बे हाई कोर्ट से एक व्यक्ति को उनकी मां और बहन को उनके बच्चों से मिलने की इजाजत मिल गई है।पारिवारिक विवाद में नाबालिग बच्चे अलग रह रही मां के साथ रहते हैं। याचिका में दावा किया गया कि उनकी पत्नी उनके नाबालिग बच्चों से उन्हें मिलने नहीं दे रही है। अदालत ने पत्नी को तलब किया, तो उसने पति द्वारा उसके गुजारा भत्ता की 10 लाख रुपए बकाया होने की बात कही। इस पर पति ने अदालत से कहा कि वह गुजारा भत्ता की बकाया राशि 8 सप्ताह में दे देगा। पत्नी ने भी पति, सांस और ननद को अपने बच्चों से मिलने देने की बात कही। न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेसन की अवकाश कालीन पीठ के समक्ष विक्रांत मुकेश संघवी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया कि पारिवारिक विवाद में उनके नाबालिग बच्चों को लेकर रह रही पत्नी उनसे, उनकी मां और बहन से बच्चों को मिलने नहीं दे रही है। पीठ ने गुरुवार को याचिकाकर्ता की पत्नी हेमांगिनी संघवी को तलब किया। हेमांगिनी ने पीठ के समक्ष खुद अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसे उनके बच्चों से पति, सांस और ननद को मिलने से कोई एतराज नहीं है, लेकिन उन्हें मिलने के लिए समय बता कर आना चाहिए। उन्होंने ने अदालत के संज्ञान में लाया कि उनके पति काफी समय से गुजारा भत्ता नहीं दे रहे हैं। 10 लाख रुपए गुजारा भत्ता की राशि बकाया है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता आज से दो महीने की अवधि के भीतर हर सप्ताह सोमवार को आठ समान किस्तों में बकाया गुजारा भत्ता की राशि चुका देंगे। पीठ ने पत्नी के बच्चों से मिलने देने और पति द्वारा बकाया गुजारा भत्ता की राशि चुकाने देने की हामी भरने के साथ ही याचिका का निपटारा कर दिया।
Created On :   7 Nov 2024 4:35 PM GMT