Mumbai News: आम लोगों के मोबाइल नंबर बेच मोटी कमाई कर रहे ठग, मिलता है 33% कमीशन

आम लोगों के मोबाइल नंबर बेच मोटी कमाई कर रहे ठग, मिलता है 33% कमीशन
  • ठगी करने वाले को मिलता है 33% कमीशन
  • कॉल सेंटर से गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और जांच में खुलासा
  • कम रकम, इसलिए ज्यादा लोग फंसते हैं

Mumbai News : सुनील मेहरोत्रा। आजकल लोगों के पास रोज 8-10 कॉल अनजान लोगों के आते हैं। कई बार कॉल रिसीव करने वाले को आश्चर्य होता है कि फोन करने वाले को मेरा नंबर कैसे मिला। मुंबई पुलिस की जांच में सामने आया है कि आम लोगों के मोबाइल नंबर बिक रहे हैं। इससे ठग मोटी कमाई कर रहे हैं। पिछले सप्ताह दहिसर क्राइम ब्रांच ने आरे कॉलोनी में अवैध रूप से चल रहे एक कॉल सेंटर में रेड डाली थी। उस केस में 24 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे। इनमें आठ महिलाएं भी थीं। ये आरोपी लोन देने का वादा कर प्रोसेसिंग फीस के बहाने लोगों को ठगते थे। आरोपियों में से एक ने बताया कि उसने कुछ लोगों के मोबाइल नंबर किसी से खरीदे थे। जांच अधिकारी अभी इसका खुलासा नहीं कर रहे हैं कि क्या नंबर बेचने वाले किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी थे? यह सवाल इसलिए उठा, क्योंकि जिन लोगों को लोन दिलवाने के नाम पर कॉल गए और ठगा गया, उनका सिबिल स्कोर खराब था। यह जानकारी ठगों को तभी मिल सकती है, जब किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी से आम लोगों का लोन आवेदन रिजेक्ट हुआ हो। जब भी आप बैंक से लोन लेने जाते हैं या किसी बैंक से क्रेडिट कार्ड लेते हैं तो आपका सिबिल स्कोर देखा जाता है।

ऐसे जमा होते हैं आपके मोबाइल नंबर

एक अधिकारी के अनुसार, कई बार हम किसी मॉल जाते हैं या फिल्म देखने जाते हैं तो टिकट देते वक्त आपसे आपका मोबाइल नंबर लिया जाता है, ताकि मोबाइल पर ही आपका टिकट पहुंच सके। ई-कॉमर्स साइट से सामान खरीदते वक्त भी मोबाइल नंबर देना पड़ता है। इसलिए आपका मोबाइल नंबर हर कहीं, हर किसी के पास उपलब्ध है। ठगी करने वाले कहीं से भी आम लोगों के ये मोबाइल नंबर खरीद सकते हैं। ठग कई बार रेंडम कॉल कर लोन सहित अलग-अलग ऑफर देते रहते हैं।

कम रकम, इसलिए ज्यादा लोग फंसते हैं

आरे कॉलोनी में अवैध रूप से चल रहे कॉल सेंटर में प्रोसेसिंग फीस के नाम पर सिर्फ 1,475 रुपए मांगे जा रहे थे। सीनियर इंस्पेक्टर नवनाथ जगताप और इंस्पेक्टर विजय रासकर की जांच में यह बात सामने आई कि इस कॉल सेंटर में जितने भी कर्मचारी काम करते थे, उसमें सिर्फ टीम लीडर को सैलरी मिलती थी। बाकी सभी को दिन में ठगी से उगाही गई रकम का 33 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। इसलिए ठगी का कॉल करने वाले अधिक से अधिक लोगों को टारगेट करते थे। जरूरतमंद लोग अक्सर प्रोसेसिंग फीस के नाम पर मांगी गई रकम दे देते थे और ठगे जाने पर कम राशि होने की वजह से पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराते थे।

इस तरह खुली पोल

लेकिन जब मुंबई का एक व्यक्ति दो बार ठगा गया, तब उसने पुलिस से शिकायत की। इसके बाद हुई जांच में क्राइम ब्रांच को इस कॉल सेंटर, यहां ठगने वालों को मिल रहा कमीशन और इन ठगों को मिले आम लोगों के मोबाइल नंबरों की जानकारी मिली।

Created On :   7 Oct 2024 5:00 AM IST

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