- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- खिचड़ी घोटाला मामले में शिवसेना...
Mumbai News: खिचड़ी घोटाला मामले में शिवसेना नेता को जमानत, लकड़ी तस्करी पर वन विभाग को फटकार, एसआईटी करेगी आरपीएल शेयरों में धोखाधड़ी की जांच
![खिचड़ी घोटाला मामले में शिवसेना नेता को जमानत, लकड़ी तस्करी पर वन विभाग को फटकार, एसआईटी करेगी आरपीएल शेयरों में धोखाधड़ी की जांच खिचड़ी घोटाला मामले में शिवसेना नेता को जमानत, लकड़ी तस्करी पर वन विभाग को फटकार, एसआईटी करेगी आरपीएल शेयरों में धोखाधड़ी की जांच](https://www.bhaskarhindi.com/h-upload/2025/02/04/1400358-1.avif)
- शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता सूरज चव्हाण को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कत्था बनाने के लिए खैर की लकड़ी की तस्करी को लेकर वन विभाग के अधिकारियों को लगाई फटकार
Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट नेता सूरज सतीश चव्हाण को मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के कोरोना महामारी के दौरान खाद्य वितरण (खिचड़ी) अनुबंधों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चव्हाण को पिछले साल 17 जनवरी को गिरफ्तार किया था। विशेष पीएमएल अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने चव्हाण को जमानत देते हुए कहा कि मुकदमे में देरी और आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखने से संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। पीठ ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता पर लगे आरोप को पुष्ट करने के लिए बीएमसी के किसी भी आधिकारिक दस्तावेज के माध्यम से कोई सबूत रिकॉर्ड पर नहीं है। बीएमसी ने फोर्स वन मल्टी सर्विसेज को दिए गए सभी कोरोना काल में आपूर्ति अनुबंधों को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि जब मुकदमा शुरू होने की संभावना नहीं है, तो आगे की कैद सजा से पहले सजा के बराबर होगी। अदालत ने चव्हाण को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी, जिसमें उनका पासपोर्ट सरेंडर करना और महीने में एक बार ईडी को रिपोर्ट करना शामिल है। इस अपराध की जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जा रही है। ईडी की जांच घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग पहलू के इर्द-गिर्द थी, जहां यह आरोप लगाया गया है कि राजनेताओं के करीबी बिचौलियों ने कोरोना महामारी के दौरान प्रवासियों और गरीबों को खिचड़ी वितरित करने का ठेका देने के लिए बीएमसी अधिकारियों को कथित रूप से प्रभावित किया था। चव्हाण को मेसर्स फोर्स वन मल्टी सर्विसेज से 1 करोड़ 35 लाख रुपए मिले, जो महामारी के दौरान बीएमसी को कम वजन वाले खाद्य पैकेट की आपूर्ति करने का आरोपी ठेकेदार है। चव्हाण के वकील अशोक मुंदरगी ने दलील दी कि ईडी मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) में चव्हाण का नाम नहीं था, जो ईडी द्वारा दर्ज एफआईआर के बराबर है। याचिकाकर्ता को न तो पूर्ववर्ती अपराध में और न ही ईसीआईआर में आरोपी बनाया गया है। अनुसूचित अपराध में मुकदमा शुरू नहीं हुआ है, जिससे पीएमएलए मुकदमे को आगे बढ़ाना असंभव हो गया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कत्था बनाने के लिए खैर की लकड़ी की तस्करी को लेकर वन विभाग के अधिकारियों को लगाई फटकार
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी जिले में कत्था बनाने के लिए खैर की लकड़ी की तस्करी और वन संपदा को नष्ट किए जाने को लेकर वन विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई। अदालत ने राज्य के वन विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वे प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त करें, जो न्यायालय के समक्ष विरोधाभासी हलफनामा दाखिल करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच करें और तीन महीने के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करें। 25 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने दीपक आत्माराम शिरोडकर की जनहित याचिका पर सुनवाई को दौरान कहा कि याचिकाकर्ता वन विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता से व्यथित है, जो वन संसाधनों के बड़े पैमाने पर नष्ट करने और कत्था बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खैर की लकड़ी तस्करी गतिविधियों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने में विफल रहे हैं। अदालत ने इस साल 3 जनवरी के आदेश में अंतरिम निर्देश जारी किए थे, जिसमें वन विभाग के अधिकारियों को 9 दिसंबर 2024 के हलफनामे में उल्लिखित 22 कारखानों (इकाइयों) के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। वन विभाग की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील ने कहा कि कत्था बनाने वाली 22 इकाइयों में से 6 इकाइयों को सील कर दिया गया है। जबकि 16 इकाइयों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किए गए हैं। पीठ ने इन इकाइयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने वाले राज्य के वन विभाग के प्रधान सचिव को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के वकील नारायण बुबना ने दलील दी कि सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी में कत्था बनाने वाले कारखानों से खैर की लकड़ी की तस्करी करने वाले माफियाओं से सांठ-गांठ है। उनसे वन विभाग के अधिकारियों की भी मिली भगत सामने आयी है। यही कारण से की खैर की लकड़ी की तस्करी करने वाले वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस कारोबार में राज्य के एक राजनीतिक का विधायक भी शामिल है।
आरपीएल शेयरों के वायदा में करोड़ों की धोखाधड़ी
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने जय कॉर्पोरेशन लिमिटेड के निदेशक आनंद जयकुमार जैन के आरपीएल शेयरों के वायदा में करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की जांच मुंबई पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंपी दी है। याचिका में जैन पर जय कॉर्प लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों के जरिए टैक्स हेवन में स्थित संस्थाओं से धन प्राप्त करना, इक्विटी शेयरों की खरीद के माध्यम से धन का डायवर्जन और व्यक्तिगत लाभ के लिए धन की राउंड ट्रिपिंग समेत विभिन्न तरीकों से सार्वजनिक धन की लूट का आरोप है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने गोरेगांव निवासी शोएब रिची सेक्वेरा की याचिका पर कहा कि पीठ ने कहा कि के क्षेत्रीय निदेशक एक विशेष जांच टीम का गठन करेंगे, जिसमें याचिकाकर्ता की 22 दिसंबर 2021 और 3 अप्रैल 2023 की ईओडब्ल्यू में दी गई दो शिकायतों की गहन जांच करने के लिए आवश्यक अधिकारी शामिल होंगे। सीबीआई के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के संयुक्त निदेशक जांच की निगरानी करेंगे। पीठ ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि ये हमारी प्रथम दृष्टया टिप्पणियां हैं और एसआईटी अपनी योग्यता के आधार पर किसी से प्रभावित हुए बिना सभी संभावित कोण से निष्पक्ष रूप से जांच करेगी। पीठ ने ईओडब्ल्यू सभी कागजात और दस्तावेज एक सप्ताह के भीतर एसआईटी को सौंपे का निर्देश दिया है।
क्या है पूरा मामला
आनंद जयकुमार जैन द्वारा नियंत्रित जय कॉर्प लिमिटेड अपनी सहायक कंपनियों के साथ मिलकर मिलीभगत कर करोड़ों रुपए के धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार है। जय कॉर्प लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों द्वारा वित्तीय संस्थानों से 4255 करोड़ रुपए की राशि और शहरी अवसंरचना अवसर निधि (यूआईओएफ) द्वारा निवेशकों के 2434 करोड़ रुपए एकत्रित किया गया था। आरपीएल शेयरों के वायदा में धोखाधड़ी से व्यापार करके उत्पन्न 513 करोड़ 12 लाख रुपए और भारतीय बैंकों से प्राप्त 98 करोड़ 83 लाख रुपए की वित्तीय सहायता को मॉरीशस और यूएई के शारजाह में डायवर्ट किया गया है।
Created On :   4 Feb 2025 9:35 PM IST