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गुड न्यूज: निसंतान दंपतियों के लिए कामा अस्पताल बना उम्मीद की किरण, 12 महिलाएं हुईं गर्भवती

- सहायक प्रजनन केंद्र में 422 महिलाओं ने कराया है पंजीकरण
- सौ महिलाओं पर किया गया संतान प्राप्ति के लिए उपचार
- निसंतान दंपतियों के लिए कामा अस्पताल बना उम्मीद की किरण
Mumbai News. मोफीद खान। संतान सुख न होना दंपतियों के लिए बड़ा दुख होता है, ऐसे में पारिवारिक और सामाजिक टीका-टिप्पणियां और परेशान कर देती हैं। इस समस्या से जूझ़ रहे दंपतियों में जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं उनके लिए बांझपन का इलाज कराना और सीमित हो जाता है। ऐसे दंपतियों की मदद के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित कामा एंड अलब्लेस अस्पताल में आईवीएफ सेंटर शुरू किया गया है। जिसमें बांझपन उपचार प्रणाली के तहत 12 महिलाओं ने गर्भधारण किया है। हालांकि इसके लिए 422 मरीजों ने पंजीकरण कराया था। जिसमें से सौ महिलाओं का बांझपन उपचार प्रणाली के तहत इलाज चल रहा है।
कामा अस्पताल में प्रतिदिन गर्भावस्था से संबंधित समस्याओं को लेकर 20 से 30 महिलाएं आती हैं। इन महिलाओं के इलाज के लिए 6 मार्च 2024 को अस्पताल में सहायक प्रजनन केंद्र (आईवीएफ सेंटर) की शुरुआत की गई थी। कामा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे ने बताया कि फिलहाल अस्पताल को बांझपन के पहले चरण के उपचार प्रक्रिया की अनुमति मिली है, जिसमें इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन (आईयूआई), ओव्यूलेशन आदि प्रक्रिया शामिल है। उन्होंने बताया कि दूसरे स्तर में जिसमें आईवीएफ प्रक्रिया की जाती है उसके लिए जल्द अनुमति मिल जाएगी। आईवीएफ के लिए 80 महिलाओं ने अपना नाम पंजीकृत कराया है। लेकिन आगामी महीने इसके शुरू होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि फिलहाल बांझपन की पहले स्तर की उपचार प्रक्रिया से 12 महिलाओं को फायदा पहुंचा है, जिससे वे गर्भवती हो पाई हैं।क्या है आईयूआई
आईयूआई एक बांझपन उपचार प्रक्रिया है जिसमें स्प।र्म को महिला के गर्भाशय में रोपित किया जाता है। सामान्य कंसीव करने की प्रक्रिया में स्प र्म गर्भाशय ग्रीवा के जरिए योनि में पहुंचता है और फिर फैलोपियन ट्यूब की मदद से गर्भाशय तक आता है। लेकिन प्राकृतिक तरीके से यह प्रक्रिया जब नहीं हो पाती है तो इस स्थिति में आईयूआई की मदद से स्पचर्म को सीधा एग के नजदीक गर्भाशय में डाला जाता है। इस प्रक्रिया से महिला के मां बनने की संभावना बढ़ जाती है।
कैसे होती है प्रक्रिया
कामा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे ने बताया कि मासिक धर्म से 2 या तीन दिन में 5 से 10 दिन के लिए महिलाओं को दवा या इंजेक्शैन दिए जाते हैं। इसके बाद हर तीसरे या चौथे दिन सोनोग्राफी की मदद से निगरानी की जाती है। फॉलिकल्स के सही साइज में होने पर एचसीजी के इंजेक्श न से ओवुलेशन की प्रक्रिया को ट्रिगर किया जाता है और लगभग 36 घंटे के अंदर आईयूआई प्रक्रिया की जाती है।
Created On :   31 March 2025 5:30 AM IST