Mumbai News: जीबीएस से आठ की मौत, विपक्ष ने सरकार को घेरा, पानी जांच का सख्ती से पालन का निर्देश

जीबीएस से आठ की मौत, विपक्ष ने सरकार को घेरा, पानी जांच का सख्ती से पालन का निर्देश
  • राज्य सरकार ने पानी जांच का सख्ती से पालन करने का दिया निर्देश
  • मुंबई में औसतन हर साल 125 मरीज

Mumbai News. मनपा के वीएन देसाई अस्पताल में ऑपेरशन थियेटर सहायक के रूप में कार्यरत 53 वर्षीय व्यक्ति की नायर अस्पताल में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में इस वायरस से मारने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। इन 8 मौत में से 4 की मौत जीबीएस से होने की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग ने की है। जबकि 4 की मौत अभी भी संदिग्ध बनी हुई है। महीनेभर में हुई इन 8 मौत को लेकर अब विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। राज्य में जीबीएस का पहला मरीज 9 जनवरी को पुणे में पाया गया था। इस मामले के सामने आने के बाद से महीने भर में जीबीएस से संक्रिमितों की संख्या 203 तक पहुंच गई है। इसके साथ ही महीनेभर में ही जीबीएस से आठ मरीजों की मौत हो गई है। सबसे अधिक मौत पुणे में हुई है। प्रदेश में जीबीएस के बढ़ते प्रकोप को लेकर विपक्ष ने सरकार की आलोचना शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जीबीएस मरीजों के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बाद क्या हुआ? क्या सरकार ने इसके लिए कोई विशेष उपाय किये हैं? जीबीएस रोगी के लिए एक इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपए है। आम आदमी इतना महंगा इंजेक्शन नहीं खरीद सकता। नाना पटोले ने कहा कि सिर्फ सुझावों से कुछ नहीं होगा, ठोस कदम उठाने होंगे।

मुंबई में औसतन हर साल 125 मरीज

ग्लोबल बर्डन डिसीज की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल एक लाख की आबादी के पीछे एक से 2 लोग जीबीएस के शिकार होते हैं। इस संख्या का अगर देश की आबादी से आकलन करें तो यहां सालाना 14 से 20 हजार लोग जीबीएस से संक्रमित पाए जाते हैं। मुंबई में आबादी के अनुसार यहां सालाना 125 लोग जीबीएस से पीड़ित होते हैं। ऐसे में यह साफ है कि देश या मुंबई के लिए यह बीमारी कोई नई नहीं है।

जल परीक्षण सख्ती से हो लागू

जीबीएस के बढ़ते प्रसार को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने पानी को कीटाणुरहित करके आपूर्ति करने के संदर्भ में फरवरी 2022 को जारी किए गए दिशा-निर्देश का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। इसके मुताबिक पानी के सभी स्रोतों का वर्ष में एक बार रासायनिक परीक्षण (कम से कम दो नमूने) और दो बार प्रयोगशाला में जैविक परीक्षण करना अनिवार्य है।

Created On :   12 Feb 2025 10:01 PM IST

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