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Mumbai News: धारावी पुनर्विकास को लेकर अडानी प्रॉपर्टीज को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत
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- अदालत ने यूएई फर्म सेकलिंक की नई निविदा के खिलाफ दायर याचिका को किया खारिज
- राज्य सरकार के पहले के फैसले को पलटने कर अडानी प्रॉपर्टीज का अनुबंध देने निर्णय को रखा बरकरार
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने धारावी पुनर्विकास टेंडर को रद्द करने और अडानी प्रॉपर्टीज को नया टेंडर देने के राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने यूएई फर्म सेकलिंक की नए टेंडर के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दी। अदालत ने पाया कि पहले के टेंडर को रद्द करना और अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को नया टेंडर देना मनमाना नहीं है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष यूएई फर्म की कंपनी सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन की याचिका पर पीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार की सचिवों की समिति (सीओसी) द्वारा पहले की टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने के लिए दिए गए कारण उचित थे। सीओएस ने चर्चा की कि रेलवे की जमीन को शामिल करने से परियोजना अधिक व्यवहार्य हो जाती है और ऐसा शामिल करना जनहित में है। इस तरह के समावेश को ध्यान में रखते हुए नया टेंडर जारी किया गया था। पीठ ने कहा कि सीओएस ने 27 अगस्त 2020 को आयोजित अपनी बैठक में मामले के इन सभी पहलुओं पर विचार किया और पहले की टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने का फैसला किया। इस प्रकार हमारी राय में सरकार द्वारा पहले की निविदा प्रक्रिया को रद्द करने के लिए दिए गए कारणों को अनुचित नहीं कहा जा सकता है। पीठ ने सेकलिंक के इस दलील को भी स्वीकार नहीं किया कि नए टेंड शर्तें इसलिए बनाई गई थीं, क्योंकि तीन में से दो बोलीदाता तकनीकी रूप से योग्य पाए गए थे।
पीठ ने यह भी कहा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी और विशेष कार्य अधिकारी, धारावी पुनर्विकास परियोजना द्वारा जारी पत्र में याचिकाकर्ता को केवल यह सूचित किया गया था कि उसने परियोजना के लिए सबसे अधिक राशि की बोली लगाई है, लेकिन इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि याचिकाकर्ता को सफल बोली लगाने वाला घोषित किया गया था।
क्या है पूरा मामला
सेकलिंक पहली टेंडर प्रक्रिया में सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी थी। पहले टेंडर की वित्तीय बोलियों में सेकलिंक ने 7200 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी, जबकि अदानी प्रॉपर्टीज ने 4529 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। सेकलिंक ने अपनी याचिका में सीओसी द्वारा 27 अगस्त 2020 को लिए गए निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें धारावी क्षेत्र के पुनर्विकास के लिए 28 नवंबर 2018 को शुरू की नए टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था।
Created On :   20 Dec 2024 8:30 PM IST