Mumbai News: बाबासाहब के खिलाफ सम्मान नहीं दिखाने का आरोप और वझे की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज

बाबासाहब के खिलाफ सम्मान नहीं दिखाने का आरोप और वझे की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज
  • बाबासाहब के खिलाफ सम्मान नहीं दिखाने का आरोप की याचिका खारिज
  • एंटीलिया विस्फोटक मामला - बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वझे की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को किया खारिज
  • याचिका में एंटीलिया मामले में अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए रिहाई का किया था अनुरोध

Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने कहा है कि लोग आजकल अपनी जाति और समुदाय को लेकर तो संवेदनशील हैं, लेकिन दूसरी जातियों और समुदायों के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाते। इसी के साथ उच्च न्यायालय ने डॉ. बीआर आंबेडकर के प्रति अनादर दिखाने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामला खारिज कर दिया। अदालत ने मामला दर्ज कराने वाले व्यक्ति को सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समाज के खिलाफ पोस्ट करने के लिए फटकार लगाई। पीठ ने बुधवार को पारित आदेश में कहा कि हर सोशल मीडिया पोस्ट/टिप्पणी या भाषण पर प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं होता और ऐसी चीजों के प्रति असहमति या असंतोष जाहिर करने के विवेकशील तरीके भी हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता देवेंद्र पाटील के खिलाफ अगस्त 2019 में छत्रपति संभाजीनगर जिले के दौलताबाद पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी और उसमें जारी कार्यवाही को रद्द कर दिया। प्राथमिकी में दावा किया गया था कि आरोपी ने ब्राह्मण समाज के खिलाफ एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए शिकायतकर्ता को फोन कर धमकाया था। आरोपी ने शिकायतकर्ता को कथित तौर पर अपशब्द कहे थे और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रति अनादर भी दिखाया था। पीठ ने कहा कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच हुई बातचीत डॉ. आंबेडकर के प्रति कोई अनादर नहीं दर्शाती। पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता जैसे लोगों के कारण ही इन दिनों आंबेडकर के प्रति सम्मान कम हो गया है।अदालत ने कहा कि किसी समुदाय के व्यक्ति को तब आपत्ति करने का अधिकार नहीं हो सकता, जब उसने खुद कोई उकसाने वाला काम किया हो। सभी समुदायों और जातियों में व्यक्तियों के बीच पारस्परिक सम्मान की भावना होनी चाहिए। यही संविधान की आत्मा है।

एंटीलिया विस्फोटक मामला - बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वझे की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को किया खारिज

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एंटीलिया विस्फोटक मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वझे की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया। वझे ने याचिका में इस मामले में अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए रिहाई का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति एस.एम.मोडक की पीठ ने वझे की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका अपने फैसले में कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी को बिना किसी वैध रिमांड आदेश के जेल में हिरासत में रखा गया है। इस याचिका में उल्लिखित प्रार्थनाओं के संदर्भ में कोई राहत नहीं दी जा सकती है। मामले के गुण और तथ्यों का संदर्भ केवल इस याचिका को तय करने के उद्देश्य से किया गया है। ट्रायल कोर्ट उसके सामने पेश किए गए सबूतों के आधार पर कानून के अनुसार मुकदमे का फैसला करेगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 13 मार्च 2021 को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर एंटीलिया के पास विस्फोटक से भरा वाहन रखने के आरोप में सचिन वझे को गिरफ्तार किया था। उन्हें आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत दोषी ठहराया गया था। 24 अप्रैल 2024 को वझे ने हाई कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर रिहाई का अनुरोध किया। उन्होंने याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अपने मूल अधिकारों के गंभीर उल्लंघन का दावा किया। साथ ही वझे ने याचिका में यह भी कहा कि उनका मुकदमा 1400 दिनों से अधिक समय से शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में धारा 309 (2) के अनुसार हिरासत रिमांड के लिए निर्धारित प्रक्रिया का उनके मामले में पालन नहीं किया गया। वझे ने दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी ने सीआरपीसी की धारा 45 (2) का उल्लंघन किया है।

Created On :   6 March 2025 10:00 PM IST

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