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Mumbai News: महाराष्ट्र में बनेगी देश की पहली एआई यूनिवर्सिटी, आईआईटी मुंबई को मिला 11 मिलियन डॉलर का दान
- पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में स्थापित होगा
- पूर्व छात्र दंपति ने आईआईटी मुंबई को दिया 11 मिलियन डॉलर का दान
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित की पढ़ाई में छात्राओं को बढ़ावा देने पर होगा खर्च
Mumbai News : भारत देश का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में स्थापित होगा। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस के मौके पर राज्य के सूचना व प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री आशीष शेलार ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि एआई विश्वविद्यालय स्थापित करने का फैसला राज्य सरकार की ऐतिहासिक परियोजना साबित होगी। प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील के नेतृत्व में यह परियोजना शुरू की जाएगी। विद्यार्थियों और युवाओं को आवश्यक कौशल से लैस एआई विश्वविद्यालय होगा। एआई विश्वविद्यालय भारतीय युवाओं को एआई पर आधारित वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने के लिए तैयार करेगा। शेलार ने कहा कि महायुति ने साल 2024 के विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में एआई विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की थी। इसके अनुसार एआई विश्वविद्यालय अत्याधुनिक अनुसंधान और कौशल्य विकास का केंद्र बनेगा। शेलार ने कहा कि राज्य में जल्द ही देश की पहली कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नीति और नई साइबर नीति घोषित की जाएगी। यह दोनों नीतियां बनाने के लिए टॉस्क फोर्स स्थापित कर दिया गया है। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर नई नीति बनाई जाएगी। शेलार ने कहा कि विकसित भारत- 2047 के मिशन को सफल बनाने और 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को पूरा करने के लिए शिक्षा और प्रौद्योगिकी की भूमिका महत्वपूर्ण है।
पूर्व छात्र दंपति ने आईआईटी मुंबई को दिया 11 मिलियन डॉलर का दान
वहीं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के पूर्व छात्र दंपति ने अपने मातृ संस्थान को 11 मिलियन डॉलर यानी करीब 95 करोड़ रुपए का दान देने का संकल्प लिया है। संस्थान की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है कि दंपति के योगदान का प्रमुख केंद्र इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में विद्या शर्मा चेयर प्रोफेसरशिप है जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में महिला संकाय सदस्यों का समर्थन करने के लिए समर्पित है। पूर्व छात्र दंपति जितेंद्र मोहन और स्वप्ना सामंत ने यह दान दिया है। मोहन से 1994 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया था जबकि स्वप्ना ने संस्थान से 1995 में सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। दान सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में आईआईटी मुंबई के नेतृत्व को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जिसमें मोहन ने असाधारण सफलता हासिल की है। बता दें कि आईआईटी मुंबई ने सेमीएक्स रिसर्च नाम के एक आधुनिक पहल की है जिसके तहत सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में नवाचार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है जिससे भारत इस क्षेत्र में वैश्विक नेता बनकर उभरे।
जिस हॉस्टल में रहे मोहन उसका होगा पुनर्विकास
संस्थान ने जानकारी दी है कि दंपति से दान में मिलने वाली रकम का इस्तेमाल आईआईटी मुंबई के हॉस्टल 9 के पुनर्विकास के लिए किया जाएगा। इसी हॉस्टल में मोहन ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी। संस्थान को उम्मीद है कि मोहन का यह कदम भविष्य के विद्यार्थियों को सुविधा के साथ प्रेरणा भी देगा।
‘हम आईआईटी मुंबई के आभारी’
संपति की ओर से जारी बयान में कहा गया कि आईआईटी मुंबई ने जीवन के सबसे अहम वर्षों के दौरान हमें आकार दिया और दीर्घकालिक व्यावसायिक सफलता के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया। संस्थान में रहते हुए हमने अद्भुत दोस्त बनाए जो आज भी हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। संस्थान से हमने जो कुछ भी प्राप्त किया है उसके लिए आभारी हैं। इसलिए हम संस्थान के शैक्षणिक विकास और विद्यार्थियों के कल्याण के लिए कुछ योगदान देना चाहते हैं।
Created On :   24 Jan 2025 9:07 PM IST