Mumbai News: अजित पवार के आंखों के तारे ऐसे बने किरकिरी, राजनीतिक जीवन के अर्श से फर्श तक धनंजय

अजित पवार के आंखों के तारे ऐसे बने किरकिरी, राजनीतिक जीवन के अर्श से फर्श तक धनंजय
  • दस साल में एक बार विप में विपक्ष के नेता, तीन बार कैबिनेट मंत्री बने
  • राजनीतिक जीवन के अर्श से फर्श पर पहुंचे धनंजय
  • अजित पवार के आंखों के तारे मुंडे ऐसे बन गए किरकिरी

Mumbai News. अमित कुमार. राकांपा (अजित) के वरिष्ठ नेता धनंजय मुंडे को आखिकार विपक्ष और सत्तारूढ़ दलों के विधायकों के भारी दबाव के आगे झुकना ही पड़ा। मुंडे ने प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा ग्राहक संरक्षण विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। बीते 3 मार्च की देर रात को बीड़ के सरपंच संतोष देशमुख की बेरहमी से हत्या से पहले उनके साथ क्रूरता किए जाने का वीडियो और तस्वीरें सामने आई थीं। देशमुख की हत्या का मास्टरमाइंड वाल्मिक कराड है, जो मुंडे का करीबी सहयोगी भी रहा है। इस कारण मुंडे के सामने इस्तीफा देने की नौबत आई। मुंडे ने भले ही कैबिनेट मंत्री पद से त्यागपत्र दिया है। लेकिन मुंडे लगभग एक दशक तक उपमुख्यमंत्री अजित पवार के आंखों के तारे रहे हैं। अजित के आशीर्वाद से ही मुंडे बीते लगगग दस सालों में विधान परिषद में एक बार विपक्ष के नेता बने। जबकि फिर प्रदेश की ठाकरे सरकार, शिंदे सरकार और फडणवीस सरकार तीनों सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे। लेकिन मुंडे बीड़ के सरपंच देशमुख हत्या मामले में आरोपों में घिरने के बाद अजित के लिए आखों की किरकिरी बन गए। अजित तमाम कोशिशों के बावजूद मुंडे की कुर्सी नहीं बचा सके। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के फैसले के आगे अजित की भी नहीं चली। इससे अब मुंडे अपने राजनीतिक जीवन में अर्श से फर्श पर पहुंच गए हैं।

चाचा गोपीनाथ से बगावत कर आए थे राकांपा में

मुंडे ने साल 1997 में भाजपा युवा मोर्चा से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। लेकिन अपने चाचा गोपीनाथ मुंडे से राजनीतिक मतभेदों के चलते उन्होंने साल 2013 में भाजपा को छोड़कर राकांपा (अविभाजित) में प्रवेश किया। राकांपा (अविभाजित) में शामिल करने के लिए पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं थे। मगर, अजित ने मुंडे को राकांपा (अविभाजित) में शामिल करवाया। फिर राकांपा (अविभाजित) ने मुंडे को साल 2014 के विधानसभा चुनाव में परली सीट से टिकट दिया। लेकिन मुंडे अपने चचेरी बहन पंकजा मुंडे से हार गए। इसके बावजूद राकांपा (अविभाजित) ने मुंडे को विधान परिषद में विपक्ष का नेता बनाया। मुंडे विधान परिषद में 22 दिसंबर 2014 से 24 अक्टूबर 2019 तक विपक्ष के नेता रहे। विपक्ष के नेता के रूप में आक्रामक शैली और तेजतर्रार भाषण से अपनी अलग पहचान बनाई।

शरद पवार ने छांटे थे पंख

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में राकांपा (अविभाजित) के उम्मीदवार के रूप में मुंडे ने परली सीट पर भाजपा की उम्मीदवार पंकजा मुंडे को करारी शिकस्त दी थी। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद अजित पवार ने जब देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार बनाई थी तब मुंडे ने अजित का साथ दिया था। इससे नाराज शरद ने महाविकास आघाड़ी सरकार बनने के बाद मुंडे के पंख छांट दिए थे। शरद ने बतौर कैबिनेट मंत्री मुंडे को सामाजिक न्याय विभाग की जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद अजित पवार ने 2 जुलाई 2023 को अपने चाचा शरद पवार से बगावत करके शिंदे सरकार में शामिल होने का फैसला किया। फिर मुंडे भी अजित के साथ सरकार में शामिल हुए। मुंडे राज्य के कृषि मंत्री बने। लेकिन मुंडे पर अब फसल बीमा योजना, किसानों के लिए औजार खरीदने की योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

फडणवीस सरकार की हर दिन हो रही थी फजीहत

साल 2024 के विधानसभा चुनाव बाद परिणाम के बाद राज्य में दोबारा महायुति सरकार बनी। मुख्यमंत्री फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार बनते ही दिसंबर 2024 में बीड़ के सरपंच देशमुख हत्या का मामला सामने आया। इसके बाद नागपुर के शीतकालीन अधिवेशन में विपक्ष लगातार सदन में मुंडे के इस्तीफे की मांग करता रहा। उस समय मुंडे बच गए थे। लेकिन फडणवीस सरकार की हर दिन फजीहत हो रही थी। क्योंकि मुंडे को घेरने में विपक्ष के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक सुरेश धस और राकांपा (अजित) के विधायक प्रकाश सोलंके सबसे आगे थे।

फडणवीस के तीसरे कार्यालय में भी मंत्री का इस्तीफा

मुख्यमंत्री फडणवीस के नेतृत्व में साल 2014 के विधानसभा चुनाव बाद भाजपा-शिवसेना (अविभाजित) की युति सरकार बनी थी। सरकार बनने के बाद फडणवीस मंत्रिमंडल के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री एकनाथ खडसे को इस्तीफा देना पड़ा था। फडणवीस ने 23 नवंबर 2019 को अजित पवार के साथ मिलकर दूसरी बार सरकार बनाई। लेकिन तत्कालीन सरकार में उपमुख्यमंत्री अजित ने 26 नवंबर 2019 को इस्तीफा दिया। इससे फडणवीस सरकार गिर गई थी। फडणवीस ने बीते 5 दिसंबर 2024 को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन इस बार तीन महीने में ही एक मंत्री मुंडे को इस्तीफा देना पड़ा है।

मुंडे का राजनीतिक जीवन

कैबिनेट मंत्री - 15 दिसंबर 2024 से 04 मार्च 2025 तक

कैबिनेट मंत्री - 02 जुलाई 2023 से 23 नवंबर 2024 तक

कैबिनेट मंत्री - 30 दिसंबर 2019 से 29 जून 2022 तक

विप में विपक्ष के नेता-22 दिसंबर 2014 से 24 अक्टूबर 2019 तक

विधान परिषद सदस्य - साल 2010 से 2019 तक

बीड़ जिला परिषद उपाध्यक्ष - साल 2002 से 2010 तक

Created On :   4 March 2025 9:12 PM IST

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