Mumbai News: अदालत ने सवाल उठाया - क्या मंदबुद्धि महिला को मां बनने का अधिकार नहीं

अदालत ने सवाल उठाया - क्या मंदबुद्धि महिला को मां बनने का अधिकार नहीं
  • महिला के पिता ने याचिका में बेटी के गर्भ को समाप्त करने के लिए अनुरोध
  • महिला के गर्भावस्था के लिए जिम्मेदार व्यक्ति का नाम आया समाने

Mumbai News. 20 सप्ताह से अधिक गर्भवती मंदबुद्धि की महिला के भ्रूण की रिपोर्ट जे.जे.अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में पेश किया, जिसमें उसके भ्रूण को गर्भपात के लिए सामान्य पाया गया है। इस दौरान अदालत ने सवाल उठाया कि क्या बौद्धिक विकलांगता वाली महिला को मां बनने का अधिकार नहीं है? याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि महिला ने अब अपने माता-पिता को उस व्यक्ति की पहचान बता दी है, जिसके साथ वह रिश्ते में है और जो गर्भावस्था के लिए जिम्मेदार था। अदालत ने महिला के माता-पिता से उस व्यक्ति से मिलने और उससे बातचीत करने के लिए कहा, जिससे पता चल सके कि क्या वह उससे शादी करने के लिए तैयार है? याचिकाकर्ता माता-पिता के तौर प पहल करें और उस व्यक्ति से बात करें। वे दोनों वयस्क हैं। यह कोई अपराध नहीं है। 13 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है।

न्यायमूर्ति आर.वी.घुगे और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ के समक्ष 27 वर्षीय महिला के पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में महिला के 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को इस आधार पर चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति मांगी गई थी कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है और अविवाहित है। अपनी याचिका में व्यक्ति ने कहा कि उसकी बेटी गर्भ जारी रखना चाहती है। पीठ ने पिछले सप्ताह निर्देश दिया था कि महिला की जांच मुंबई के सरकारी जेजे अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड द्वारा की जाए।

बुधवार को मेडिकल बोर्ड द्वारा पीठ के समक्ष पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला मानसिक रूप से बीमार नहीं है, लेकिन उसका 75 फीसदी आईक्यू के साथ बौद्धिक विकलांगता का निदान किया गया था। पीठ ने कहा कि महिला के माता-पिता ने उसे किसी भी मनोवैज्ञानिक परामर्श या उपचार से नहीं गुजारा, बल्कि 2011 से उसे केवल दवा पर रखा।

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रूण में कोई असामान्यता या विसंगति नहीं थी और महिला गर्भावस्था को जारी रखने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट थी। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है। अतिरिक्त सरकारी वकील ने दलील दी कि ऐसे मामलों में गर्भवती महिला की सहमति सबसे महत्वपूर्ण है।

Created On :   8 Jan 2025 10:26 PM IST

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