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Mumbai News: फरार आरोपी अरुणाचलम गिरफ्तार, मेहता की लाई डिटेक्टर टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव

- न्यू इंडिया बैंक घोटाला मामला
- ईओडब्ल्यू ने फरार आरोपी अरुणाचलम को गिरफ्तार किया
- हितेश मेहता की लाई डिटेक्टर टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई
Mumbai News. दिवाकर सिंह। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए122 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा(ईओडब्ल्यू) ने छठे आरोपी को गिरफ्तार किया है। पिछले एक महीने से फरार चल रहे आरोपी उल्हानाथ अरुणाचलम मारुथुवर(62) को रविवार को गिरफ्तार किया गया है। अरुणाचलम ने रविवार की सुबह ईओडब्ल्यू कार्यालय में आकर आत्मसमर्पण कर दिया।इसके बाद ईओडब्ल्यू ने उसे किला कोर्ट में पेश किया,जहां कोर्ट ने उसे 18 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। ईओडब्ल्यू के डीसीपी मंगेश शिंदे ने बताया कि अरुणाचलम से पूछताछ में घोटाले से जुड़े कई और अहम खुलासे सामने आ सकते हैं।
ईओडब्ल्यू के मुताबिक, अरुणाचलम कोघोटाले के मुख्य आरोपी हितेश मेहता से40 करोड़ रुपए मिले थे। ईओडब्ल्यू सूत्रों के मुताबिक, इलेक्ट्रिकल ठेकदार अरुणाचलम 2013में पहली बार न्यू इंडिया बैंक की प्रभादेवी शाखा में हितेश मेहता से मिला था। 12 फरवरी 2025 को घोटाला सामने आने के बाद 16 फरवरी को अरुणाचलमगुजरात भाग गया था। गुजरात से राजस्थान होते हुए वह आंध्र प्रदेश में छिपा था। वह ट्रेन से कन्याकुमारी से पुणे आया और पुणे से रविवार को मुंबई पहुंचा था। जहां से टैक्सी पकड़कर वह सीधे पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंचा और ईओडब्ल्यू के सामने सरेंडर कर दिया।
लाई डिटेक्टर टेस्ट में मेहता के झूठ का खुलासा
न्यू इंडिया बैंक घोटाले में ईओडब्ल्यू ने मुख्य आरोपी हितेश मेहता का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया था,जिसकी रिपोर्ट मिल गई है।फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी(एफएसएल) द्वारा 13 मार्च को ईओडब्ल्यू को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक, मेहता के लाई डिटेक्टर टेस्ट के परिणाम नकारात्मक आए हैं।जो इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि वह झूठ बोल रहा है। टेस्ट के दौरान उसने सवालों के जवाब झूठे दिए हैं। मेहता की टेस्ट रिपोर्ट डिसेप्टिव यानी भ्रामक की श्रेणी में दर्ज हुई है।
लाई डिटेक्टर टेस्ट के तीन संभावित परिणाम
- पहला - ट्रुथफुल यानी सत्य (कोई धोखे का संकेत नहीं) - इसमें व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाएं स्थिर रहती हैं। झूठ बोलने से संबंधित तनाव या चिंता के लक्षण नहीं दिखाती हैं।
- दूसरा - डिसेप्टिव यानी भ्रामक (धोखे का संकेत) - इस दौरान व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाएं कुछ सवालों के जवाब देने के दौरान महत्वपूर्ण परिवर्तन (हृदय गति, अनियमित श्वास, पसीनाआदि) दिखाती हैं।
- तीसरा - इनकंक्लूजिव यानी अनिर्णायक (कोई स्पष्ट निर्धारण नहीं) - इस दौरान परीक्षण सत्यता या धोखे का एक निश्चित संकेत नहीं देता है। यह घबराहट चिकित्सा स्थितियों या अनुचित परीक्षण की स्थिति के कारण हो सकता है।
Created On :   16 March 2025 8:29 PM IST