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Mumbai News: 16 हजार करोड़ से अधिक की ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल परियोजना में करोड़ों के घोटाले का दावा
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- निजी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग द्वारा अदालत में अंतरिम आवेदन जनहित याचिका का किया गया विरोध
- याचिका में परियोजना के लिए बैंक धोखाधड़ी गारंटी की सीबीआई या एसआईटी से जांच का अनुरोध
- 5 मार्च को मामले की सुनवाई
- विकास कार्य के लिए किसी की भूमि का अधिग्रहण बिना मुआवजा दिए नहीं किया जा सकता
Mumbai News. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने गुरुवार को हाई कोर्ट में 16 हजार करोड़ रुपए से अधिक की ठाणे-बोरीवली ट्वीन ट्यूब टनल रोड परियोजना में करोड़ों रुपए का घोटाला होने का दावा किया। इस दौरान निजी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) द्वारा अंतरिम आवेदन कर परियोजना के खिलाफ दायर जनहित याचिका (पीआईएल) का विरोध किया। अदालत ने मामले की सुनवाई 5 मार्च को रखी है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ के समक्ष पत्रकार रवि प्रकाश की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से आनलाइन पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि एमईआईएल से मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी(एमएमआरडीए) द्वारा स्वीकार की गई कथित बैंक गारंटी में करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी हुई है। वह सुनवाई की अगली तारीख से पहले कंपनी के अंतरिम आवेदन पर जवाब दाखिल करेंगे। पीठ मामले की सुनवाई 5 मार्च को रखा है। सुनवाई के दौरान एमएमआरडीए की ओर से भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एमईआईएल की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने जनहित याचिका की सुनवाई पर कड़ी आपत्ति जताई और याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाए। दोनों ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने अपने कार्यों से अदालत की घोर अवमानना की है। मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि उन्होंने याचिकाकर्ता की अवमानना पूर्ण कार्रवाइयों और जनहित याचिका का विवरण देते हुए एक अंतरिम आवेदन दायर किया है। तुषार मेहता ने कहा कि एमईआईएल द्वारा दायर आवेदन की प्रकृति को देखते हुए पीठ पहले इस पर विशेष रूप से निर्णय ले सकता है। हम गुण-दोष के आधार पर जवाब देंगे।याचिका में अदालत से एमएमआरडीए को इस परियोजना के लिए एमईआईएल को दिए गए अनुबंध को समाप्त करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि राजनीतिक दलों के साथ लेन-देन के समझौतों के कारण एमईआईएल को ठाणे-बोरीवली सुरंग परियोजना सहित प्रमुख परियोजनाएं मिलीं।
विकास कार्य के लिए किसी की भूमि का अधिग्रहण बिना मुआवजा दिए नहीं किया जा सकता.... बॉम्बे हाई कोर्ट
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने विकास कार्य के लिए किसी की भूमि का अधिग्रहण बिना मुआवजा दिए नहीं किया जा सकता है। अदालत ने डहाणु नगर परिषद को सड़क के निर्माण कार्य के लिए पूर्णिमा टॉकीज के मालिक की भूमि के अधिग्रहण का मुआवजा देने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत ने नगर परिषद के पिछले साल 23 जुलाई के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत भूमि मालिक को मुआवजा देने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेथना की पीठ ने पूर्णिमा टॉकीज के मालिक की हेमंत माली की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि डहाणु नगर परिषद ने भूमि के वैध अधिग्रहण का सहारा लेने के बजाय याचिकाकर्ता की भूमि परिसर की दीवार को गिरा दिया और उसे उसका (भूमि) का मुआवजा भी नहीं दिया। ऐसे में नगर परिषद द्वारा कानून के प्रावधानों के विपरीत कार्य किया गया है और अनुच्छेद 300 (ए) के तहत याचिकाकर्ता के संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन किया गया है। पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच समझौते के अभाव में आरक्षित भूमि को धारा 126(1) के खंड (ए) या खंड (बी) के तहत अधिग्रहित नहीं किया जा सकता है। सार्वजनिक विकास कार्य के लिए आरक्षित भूमि का लागू कानून के अनुसार अधिग्रहण के अधीन होना चाहिए। पीठ ने कहा कि नगर परिषद द्वारा एमआरटीपी अधिनियम की धारा 126 के तहत निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने की स्थिति में मुआवजे का भुगतान होगा, जिसे 2013 अधिनियम के प्रावधानों के तहत निर्धारित भुगतान किया जाएगा। याचिकाकर्ता के नाना जामू दामू माली द्वारा 1 अक्टूबर 1939 की सनद के माध्यम से उसे भूमि का अनुदान किया गया था। राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता को 22 अप्रैल 1993 के एक पत्र द्वारा कांटेदार तार की बाड़ को हटाकर भूमि की सुरक्षा के लिए दीवार बनाने की अनुमति दी गई थी। डहाणु नगर परिषद ने याचिकाकर्ता को सड़क चौड़ीकरण के लिए 30 अगस्त 2022 को एक नोटिस जारी किया और उसे अपने कार्यालय में भूमि के दस्तावेजों के साथ उपस्थित रहने के लिए कहा। याचिकाकर्ता ने दीवार की भूमि को विकास कार्य के लिए देने पर सहमति जताते हुए उसके लिए मुआवजा की मांग की। नगर परिषद द्वारा बिना मुआवजा दिए टॉकीज के परिसर की दीवार को गिराकर उस भूमि को अधिग्रहित कर ली गई। इसके बाद टॉकीज के मालिक ने पहले निचली अदालत और बाद में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
Created On :   20 Feb 2025 9:45 PM IST