बॉम्बे हाईकोर्ट: नौकरानी से दुराचार के दोषी को जमानत नहीं, अमेरिका में रह रहे वृद्ध से 2 करोड़ की धोखाधड़ी में भी सुनवाई

नौकरानी से दुराचार के दोषी को जमानत नहीं, अमेरिका में रह रहे वृद्ध से 2 करोड़ की धोखाधड़ी में भी सुनवाई
  • सेशन कोर्ट से दोषी व्यक्ति को हुई है 20 साल की सजा
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने धोखाधड़ी करने वाले दंपति की अग्रिम जमानत याचिका की खारिज
  • बॉम्बे हाई कोर्ट से 1 साल के बेटे की हत्या की आरोप मां को मिली जमानत

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंदबुद्धि की नौकरानी से दुराचार के दोषी 73 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया। अदालत ने कहा कि दोषी के खिलाफ ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जो अपराध को छुपाने के प्रयासों का संकेत देते हैं। पीड़िता की सहमति का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि उसका बौद्धिक स्तर(आई.क्यू.)केवल 42 फीसदी है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम.एम. सथाये की एकल पीठ के समक्ष भालचंद्र म्हात्रे की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने म्हात्रे की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया घटना को दबाने और गर्भावस्था से छुटकारा पाने के प्रयास किए गए थे। यद्यपि घटना के समय पीड़िता 23 वर्ष की थी और वह मानसिक रूप से मंद बुद्धि की पाई गई। जमानत दोषी की 20 साल की जेल की सजा के खिलाफ चल रही याचिका का हिस्सा था, जिसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दुराचार मामले में याचिकाकर्ता को सितंबर 2022 में सेशन कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी। यह मामला जनवरी 2017 का है। पीड़िता अपनी मां की मदद के लिए याचिकाकर्ता के घर काम करने जाती थी। याचिकाकर्ता ने एक दिन जब उसकी पत्नी घर पर नहीं थी, तो उसने पीड़िता के साथ दुराचार किया। पीड़िता के गर्भवती होने पर उसके परिजनों को इसकी जानकारी हुई। कथित तौर पर याचिकाकर्ता व्यक्ति और उसके परिवार ने पीड़िता और उसकी मां को चुप कराने की कोशिश की। उन पर गर्भपात कराने का दबाव डाला गया। पीड़िता की मां की शिकायत पर पुलिस ने याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया था।

अमेरिका में रह रहे वृद्ध व्यक्ति से 2 करोड़ की धोखाधड़ी

दूसरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अमेरिका में रह रहे वृद्ध व्यक्ति से 2 करोड़ 12 लाख रुपए की धोखाधड़ी के मामले में अमित राजेंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी रचना को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने माना कि प्रथम दृष्टया दंपति के खिलाफ मामला बनता है। वे इस मामले में फरार हैं। ऐसे में उन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। न्यायमूर्ति मनीष पिताले की एकलपीठ के समक्ष अमित राजेंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी रचना की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं को आपराधिक मामले की जानकारी नहीं थी। उनका शुरू से ही बेईमानी करने का इरादा नहीं था। वे जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं। उन्हें अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए। शिकायतकर्ता की ओर से पेश हुए वकील सत्यम निंबालकर ने अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया और उन्होंने कहा कि आरोपी अमित गुप्ता और रचना गुप्ता को संपत्ति के दस्तावेजों की जानकारी थी। पीठ ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को उनके बंगले पर मुकदमा चलने की जानकारी थी। इसके बावजूद उन्होंने संपत्ति को बेचने का सौदा किया और उसके बदले 2 करोड़ 12 लाख रुपए लिए। उनका शुरू से ही धोखाधड़ी करने का इरादा था। इसलिए उनको अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकता है। अमेरिका में रहने वाले राजेश पाटिल भारत में रहने के लिए एक बंगला खरीदना चाहते थे। उन्हें एक ऑनलाइन वेबसाइट पर पुणे के वाकड में बंगले के बारे में एक विज्ञापन देखा। उन्होंने उसके मालिक अमित गुप्ता और रचना से संपर्क किया। उन्होंने राजेश पाटिल और उनके भाई को बताया कि संपत्ति पर कोई रुकावटें नहीं है। इसके बाद पाटिल ने उन्हें उस बंगले को खरीदने के लिए 2 करोड़ 12 लाख रुपए दिए। बाद में उस पर कर्ज वसूली न्यायाधिकरण ने नोटिस चस्पा दिया। पाटिल को पता चला कि उस संपत्ति पर मुकदमा चल रहा है। इसके बाद पाटिल ने पुणे के वाकड पुलिस स्टेशन में गुप्ता दंपति के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत की। पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 468, 34, 120 (बी) के तहत एफआईआर दर्ज किया। उसके बाद से ही गुप्ता दंपति फरार हैं।

बॉम्बे हाई कोर्ट से 1 साल के बेटे की हत्या की आरोप मां को मिली जमानत

चौथे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक साल के बेटे की हत्या करने वाली मां को जमानत दे दी। अदालत ने पाया कि आरोपी महिला छह साल से अधिक समय से जेल में बंद है और उसके मुकदमे में कोई प्रगति नहीं है। अदालत ने कहा कि आरोप तय होने के पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई है. न्यायमूर्ति मनीष पितले की एकल पीठ ने ममता यादव की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि केवल आरोपों की गंभीरता के आधार पर मुकदमे की कार्यवाही के बिना आरोपी को अनिश्चित काल तक कारावास में रखने को उचित नहीं ठहराया जा सकता है. पीठ ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में रेखांकित किया। भिवंडी के दापोड़ा गांव में रहने वाली ममता यादव के पति की शिकायत पर ठाणे के नारपोली पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्यों को गायब करना) और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया।पुलिस ने 1 फरवरी 2019 को ममता और उसके प्रेमी राजेश पाटिल को 14 महीने के बच्चे का गला घोंटकर हत्या करने के मामले में गिरफ्तार किया था। आरोप है कि ममता ने न केवल अपने बेटे का गला घोंटा, बल्कि शव को दफनाकर ठिकाने लगाने का भी प्रयास किया। इस मामले में तीन आरोपी शामिल थे, जिनमें से एक किशोर भी था। अदालत ने आरोपी राकेश पटेल को लंबे समय तक जेल में रहने और मुकदमे की प्रगति नहीं होने के 19 सितंबर 2022 को जमानत दे दी गई थी.

Created On :   26 Dec 2024 7:52 PM IST

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