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बयान का खंडन: साहित्य अकादमी का नहीं, गृह मंत्रालय का काम है भाषाओं को अभिजात दर्जा देना
- अध्यक्ष कौशिक ने कहा, मेरी बात का गलत अर्थ निकाला गया
- अब साहित्य अकादमी खुद भाषाओं को अभिजात दर्जा प्रदान करेगी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने मीडिया में छपे अपने उस बयान का खंडन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब साहित्य अकादमी खुद भाषाओं को अभिजात दर्जा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि मेरी कही बात का गलत अर्थ निकाला गया है। भाषाओं को अभिजात दर्जा देने का काम गृह मंत्रालय का है न कि साहित्य अकादमी का। दरअसल, एक मराठी दैनिक में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष कौशिक को कोट करते हुए लिखा गया है कि अब आगे से साहित्य अकादमी खुद पहल करके भाषाओं को अभिजात दर्जा देगी। इसके लिए नियम बदले जाने का काम अंतिम चरण में है। इस मामले में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष से संपर्क करने पर उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह अधिकार साहित्य अकादमी नहीं है। मैंने कुछ बताया और लिख कुछ और दिया गया है। इसमें साहित्य अकादमी की कोई भूमिका नहीं है।
हालांकि, उन्होंने यह कहा कि गत दिनों इस मामले में संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर साहित्य अकादमी द्वारा एक बैठक आयोजित की थी, जिसमें भाषाओं को अभिजात दर्जा देने के नियमों में बदलाव करने पर चर्चा हुई थी। मैंने यह बताया था कि नियमों में बदलाव की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इसे गलत तरीके से प्रकाशित किया गया है। साहित्य अकादमी के सचिव डॉ श्रीनिवास राव ने भी कहा कि साहित्य अकादमी का भाषाओं को अभिजात दर्जा देने के मामले में कोई रोल नहीं है।
Created On :   30 May 2024 8:13 PM IST