गाड़ी से पिल्ले को कुचलने के विवाद में जाति के नाम अपमानित करने का मामला नहीं बनता

गाड़ी से पिल्ले को कुचलने के विवाद में जाति के नाम अपमानित करने का मामला नहीं बनता
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एट्रोसिटी के आरोपी को दी अग्रिम जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(1)(आर), 3(1)(एस) के अंतर्गत मामला दर्ज में अग्रिम जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि कार से कुत्ते के पिल्ले को कुचलने के विवाद में जाति के नाम अपमानित करने का मामला नहीं बनता है।

न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक की एकलपीठ के समक्ष 10 अगस्त को वकील गणेश गुप्ता और वकील साहिल घोरपड़े की रशिकांत अनिल कुंभारे की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील गणेश गुप्ता ने दलील दी कि शिकायतकर्ता शीतल निलेश रोकडे और उनके पति ने इस साल 21 मार्च को अपनी कार से याचिकाकर्ता कुंभारे के कुत्ते के पिल्ले को कुचल दिया। याचिकाकर्ता ने पिल्ले को कुचल कर मारने की शिकायत खालापुर पुलिस स्टेशन में 24 मार्च को दर्ज कराई।

इसके बाद शिकायतकर्ता रोकडे ने खालापुर पुलिस स्टेशन में ही याचिकाकर्ता खिलाफ फर्जी जान से मारने की धमकी देने और उनकी जाति के नाम पर अपमानित करने की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता धारा 323, 504, 506, 34 और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(1)(आर), 3(1)(एस) के अंतर्गत मामला दर्ज किया। याचिकाकर्ता ने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी किया। सेशन कोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए गुहार लगाई।

पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच कुत्ते के पिल्ले को कुचल कर मारने को लेकर विवाद था। शिकायतकर्ता को जिस समय कथित तौर पर गालियां दी गई और जाति के नाम पर अपमानित किया गया, उस समय कोई स्वतंत्र गवाह नहीं थे। इस लिए धारा 18 के तहत इस मामले में अत्याचार अधिनियम लागू नहीं होगा। मामले पर समग्र नजर डालने पर आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक नहीं है। पीठ ने याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देते हुए याचिका को समाप्त कर दिया।

Created On :   16 Aug 2023 9:14 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story