मुंबई: उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने की नैक मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार की मांग

उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने की नैक मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार की मांग
  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखा पत्र
  • सिर्फ 20 फीसदी संस्थाओं ने कराया मूल्यांकन

डिजिटल डेस्क, मुंबई. उच्च शैक्षणिक संस्थाएं राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) से मूल्यांकन कराएं इसके लिए प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने यह मांग करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र सौंपा है। एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पुणे पहुंचे प्रधान को पाटील ने अपने हाथों से यह पत्र सौंपा। उन्होंने मांग की है कि मूल्यांकन के दौरान महाविद्यालयों को श्रेणियों में न बांटा जाए। सिर्फ मूल्यांकन हुआ है या नहीं इसका जिक्र किया जाए। मूल्यांकन शुल्क कम करने और अधिकतम खर्च की सीमा डेढ़ लाख रुपए तक रखने की मांग की भी गई है। पीआर टीम के सदस्य नैक के दौरे के समय क्वालिटेटिव मैट्रिक्स की जांच कर सकते हैं इसलिए मैट्रिक्स को लेकर जानकारियां अपलोड करना अनिवार्य न किया जाए। पाटील ने इसके अलावा भी कई नियम और शर्तों में छूट देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया अगर आसान और कम खर्चीली कर दी जाए तो ज्यादा से ज्यादा संस्थाएं मूल्यांकन कराएंगी साथ की प्रक्रिया में होने वाली अनियमितता को टाला जा सकेगा। इसके अलावा पाटील ने प्रक्रिया को गति देने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन देने की भी मांग की है।

सिर्फ 20 फीसदी संस्थाओं ने कराया मूल्यांकन

पाटील के मुताबिक पूरी कोशिश के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ 20 फीसदी उच्च शिक्षा संस्थाओं ने नैक मूल्यांकन कराया है। बुनियादी सुविधाओं की समस्या के साथ मूल्यांकन की जटिल प्रक्रिया और इसके लिए आने वाले खर्च के चलते संस्थाएं इससे बच रहीं हैं। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 61.4 फीसदी महाविद्यालय देश के ग्रामीण इलाकों में हैं। नैक मूल्यांकन के मामले में महाराष्ट्र अग्रणी है और शैक्षणिक संस्थाओं को प्रोत्साहित और मदद करने के लिए परीस स्पर्श योजना भी शुरू की गई है। परेशानियां दूर करने के लिए समिति भी गठित की गई है लेकिन अब भी बड़ी संख्या में ऐसी संस्थाएं हैं को मूल्यांकन के लिए आगे नहीं आ रहीं हैं जबकि नई शिक्षा नीति के तहत नैक मूल्यांकन अनिवार्य है।

क्या है नैक?

साल 1994 में स्थापित संस्थाएं राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद उच्च शिक्षा संस्थाओं का मूल्यांकन और प्रमाणन करती है। यह संस्थाओं को सतत गुणवत्ता में सुधार के उपाय सुझाती है और उसके लिए प्रोत्साहन देती है। इसके लिए शिक्षा संस्थानों को कुछ मानकों का पालन करना होगा है। मूल्यांकन की ग्रेडिंग देखकर विद्यार्थी और अभिभावकों के लिए बेहतर शैक्षणिक संस्था का चुनाव करना आसान होगा।

Created On :   8 Oct 2023 9:11 PM IST

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