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शिक्षा सुधार: सरकार ने जारी किए परीक्षा, पुनर्परीक्षा और मूल्यांकन से जुड़े दिशानिर्देश
- आठवीं कक्षा तक फेल न करने की नीति खत्म
- मौजूदा सत्र से ही होंगी पांचवीं और आठवीं की वार्षिक परीक्षाएं
- पांचवीं में 50 जबकि आठवीं में 60 अंकों की वार्षिक परीक्षा
- सरकार ने जारी किए दिशानिर्देश
- अब पर्याप्त नंबर न मिलने पर उसी कक्षा में दोबारा पढ़ेंगे विद्यार्थी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पांचवीं कक्षा में अब कम से कम 18 और आठवीं कक्षा में 21 नंबर हर विषय में हासिल न करने वाले विद्यार्थियों को फेल माना जाएगा। पांचवीं की वार्षिक परीक्षा 50 जबकि आठवीं की 60 अंकों की होगी। जिनमें 10-10 नंबर मौखिक परीक्षा के लिए होंगे। आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल न करने की नीति खत्म करने का फैसला करने के बाद राज्य सरकार ने परीक्षा, पुनर्परीक्षा और मूल्यांकन से जुड़े दिशानिर्देश जारी किए जो मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2023-24 से लागू हो जाएंगे। अब पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से वार्षिक परीक्षा देनी होगी और असफल होने पर उन्हें दो महीने के भीतर परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। लेकिन अगर विद्यार्थी दूसरी बार भी असफल रहे तो उन्हें उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना पड़ेगा। दरअसल मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अप्रैल 2010 से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को फेल न करने का नियम शुरू किया गया था।
लिखित और मौखिक दोनों परीक्षा
पांचवीं कक्षा के लिए वार्षिक परीक्षा के दौरान हर विषय की कुल 50 अंकों की परीक्षा होगी। जिनमें से 10 अंक मौखिक, जबकि 40 अंक की लिखित परीक्षा होगी। आठवीं में हर विषय की 60 अंकों की परीक्षा होगी। जिसमें 10 नंबर मौखिक जबकि 50 नंबर लिखित परीक्षा के लिए होंगे। पांचवीं में पास होने के लिए हर विषय में कम से कम 18 नंबर जबकि 8वीं में प्रति विषय कम से कम 21 अंक हासिल करने होंगे। असफल विद्यार्थियों को 10 ग्रेस मार्क दिए जा सकते हैं और एक विषय में अधिकतक 5 ग्रेस मार्ग दिया जा सकता है।
इन विषयों की होगी परीक्षा
- पांचवीं- प्रथम भाषा, द्वितीय भाषा, तृतीय भाषा, गणित, परिसर अध्ययन भाग 1 व 2
- आठवीं- प्रथम भाषा, द्वितीय भाषा, तृतीय भाषा, गणित, विज्ञान, समाजिक विज्ञान
जून में होगी दोबारा परीक्षा
राज्य के दूसरे हिस्सों में जून के पहले सप्ताह में पुनर्परीक्षा ली जाएगी लेकिन विदर्भ में जून के दूसरे सप्ताह में पुनर्परीक्षा होगी।
शिक्षाविद् और परिजनों की राय
मधु वडके, प्रिंसिपल के मुताबिक यह अच्छा कदम है, नो फेल नीति के चलते पढ़ाई को लेकर गंभीरता खत्म हो गई थी, जो अब वापस आएगी। इसका फायदा यह होगा कि विद्यार्थी दसवीं, बारहवीं के साथ स्पर्धा परीक्षाओं के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे।
हुसैन शेख, शिक्षा संस्था संचालक के मुताबिक पहले बच्चों को पता था कि वे फेल नहीं होंगे और कई अभिभावक भी उनकी पढ़ाई को लेकर बेपरवाह हो गए थे। नया फैसला शिक्षा व्यवस्था के लिए ज्यादा बेहतर है।
Created On :   7 Dec 2023 9:55 PM IST