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गौतम नवलखा शहरी नक्सली आंदोलन का हिस्सा, एनआईए की हाई कोर्ट में दलील
- ग्रामीण नक्सली संघर्ष के लिए की जनशक्ति और धन की व्यवस्था
- एनआईए ने दी बॉम्बे हाई कोर्ट में दलील
डिजिटल डेस्क, मुंबई. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका का बॉम्बे हाई कोर्ट में विरोध किया। एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास ने अदालत में दलील दी कि नवलखा ग्रामीण नक्सली आंदोलन के लिए जनशक्ति और धन की व्यवस्था करने के लिए शहरी आंदोलन का हिस्सा थे।
न्यायमूर्ति ए.एस.गडकरी और न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे की खंडपीठ के समक्ष गौतम नवलखा के वकील युग मोहित चौधरी की दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल व्यास ने कहा कि शहरी नक्सली विंग ग्रामीण हथियारबंद नक्सली संघर्ष का एक पूरक हिस्सा था। यह नक्सलियों के लिए जनशक्ति और धन की व्यवस्था करता था। शहरी (नक्सल) आंदोलन नक्सलियों के मुख्य स्रोतों में से एक है। शहरी आंदोलन के साथ कोई जन आंदोलन नहीं हो सकता है, लेकिन यह विश्वास को यथासंभव व्यापक प्रचार देने के लिए रसद की व्यवस्था करता है।
हाईकोर्ट के निर्देश पर विशेष एनआईए अदालत ने दोबारा सुनवाई के बाद भी नवलखा की याचिका खारिज कर दी थी। इसे उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. नवलखा के वकील चौधरी ने जमानत की मांग करते हुए दलील दी थी कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाने के लिए एक मूल घटक आतंकवाद या साजिश के साथ हिंसा होती है। हिंसा के बिना इस मामले में यूएपीए के तहत प्रावधान लागू नहीं किए जा सकता है। चौधरी ने नवलखा की बढ़ती उम्र और इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल व्यास ने जवाब देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया साक्ष्य से पता चलता है कि एक बड़ी साजिश थी। नवलखा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
Created On :   8 Aug 2023 9:14 PM IST