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Mumbai News: गडकरी का मुंबई में प्रस्तावित वाटर टैक्सी सर्विस के लिए एफआरपी मटेरियल के उपयोग पर जोर
- नई मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को आसपास के शहरों से केवल 17 मिनट में जोड़ेगी 10 हजार वाटर टैक्सियां
- वाटर टैक्सी सर्विस के लिए एफआरपी मटेरियल के उपयोग पर जोर
Mumbai News. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई-वसई-कल्याण-डोंबिवली के साथ नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को केवल 17 मिनट में जोड़ने वाली प्रस्तावित वाटर टैक्सी सेवा के लिए कंपोजिट मटेरियल्स के उपयोग पर जोर दिया। इस सेवा के लिए फाइबर प्रबलित पॉलिमर (एफआरपी) से बनी 10 हजार टैक्सियों की जरूरत होगी। गडकरी ने मंगलवार को रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (आईसीईआरपी) 2025 पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और एग्जीबिशन के 11वें संस्करण के उद्धाटन समारोह में यह बात कही। एफआरपी इंस्टीट्यूट ने 21 से 23 जनवरी तक गोरेगांव स्थित मुंबई एक्जीबिशन सेंटर में इस कार्यक्रम का आयोजन किया है। गडकरी ने बताया कि नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास जेटी का निर्माण पहले ही किया जा चुका है, जिसका संचालन मार्च 2025 तक शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मुंबई और ठाणे के आस-पास के विशाल समुद्री मार्गों का उपयोग करके और टैक्सियों के लिए मिश्रित सामग्री (कंपोजिट मटेरियल्स) के इस्तेमाल के साथ, हम भारी यातायात और वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं। गडकरी ने कहा कि एफआरपी इंस्टीट्यूट को कंपोजिट की गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए और लागत चुनौतियों का समाधान करते हुए इस सामग्री के संभावित उपयोगों की खोज करनी चाहिए ताकि देश के विकास में इसका योगदान बढ़ सके। उन्होंने कहा कि कंपोजिट आशाजनक हैं और यदि उन्नत तकनीक और स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करके 25-30% की कमी की जाती है तो भारत और विदेशों में इस उद्योग को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि इसका उपयोग रक्षा, ऑटोमोटिव, शिपिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, कंस्ट्रक्शन, एयरोस्पेस आदि क्षेत्रों में किया जा सकता हैं। कंपोजिट एक भविष्य का मटेरियल है, और यह बुनियादी ढांचे के विकास, इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकता है, जिससे देश की प्रगति को काफी लाभ होगा।
तेजी से बढ़ रहा एफआरपी का बाजार
एफआरपी इंस्टीट्यूट के अनुसार, भारतीय कंपोजिट कच्चे माल का बाजार 2024 के अंत तक 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर आंका गया है। घरेलू कंपोजिट मटेरियल्स उद्योग 2030 तक 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के लिए 7.8% सीएजीआर से बढ़ता रहेगा। कंपोजिट एंड-प्रोडक्ट मार्केट 2024 में 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और 2030 तक 7.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। आईसीईआरपी 2025 की अध्यक्ष पिया ठक्कर ने बताया कि कैसे कंपोजिट्स उद्योगों में नए विचारों और भारत के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय कम्पोजिट इंडस्ट्री अब अपनी वृद्धि के साथ गति पकड़ रही है। जैसे-जैसे भारत विश्व का इकोनॉमिक लीडर बनने की ओर अग्रसर है, भारतीय कम्पोजिट उद्योग के लिए भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखाई देता है।
देश का बढ़ता दबदबा
भारत कम्पोजिट उद्योग के लिए एक ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब बन रहा है। इसके इस्तेमाल से कम लागत वाले उत्पादों को डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जा सकता है। एफआरपी इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष शेखर सरदेसाई ने कहा किकम्पोजिट सामग्री या फाइबर-रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (एफआरपी), ताकत, स्थायित्व और जैसे विविध गुणों को संयोजित करने की अपनी अनूठी क्षमता के लिए पहचाने जाते हैं। हल्के वजन का डिजाइन उन्हें आधुनिक अप्लीकेशंस के लिए अपरिहार्य बनाता है। ये मटेरियल्स न केवल उद्योगों में दक्षता और इनोवेशन को बढ़ावा देते हैं, बल्कि स्थिरता को बढ़ावा देकर एक सर्कुलर इक्नॉमिक्स में भी योगदान देते हैं। 2023 में, भारत में कंपोजिट की प्रति व्यक्ति खपत लगभग 0.55 किलोग्राम थी। यह अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। उदाहरण के लिए, यूएसए में यह प्रति व्यक्ति 11.5 किलोग्राम है, और जर्मनी में यह 7.7 किलोग्राम है। लेकिन भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि बाजार के बढ़ने का एक बड़ा मौका है।
Created On :   21 Jan 2025 10:12 PM IST