Mumbai News: पति का व्यवहार सुधारने के लिए पति और ससुराल वालों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराना क्रूरता

पति का व्यवहार सुधारने के लिए पति और ससुराल वालों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराना क्रूरता
  • अदालत ने पारिवारिक न्यायालय के पति के पक्ष में दिए फैसले में हस्तक्षेप करने से किया इनकार
  • पति के व्यवहार को सुधारने के लिए पत्नी द्वारा पति और ससुराल वालों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराना क्रूरता

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक पत्नी के उत्पीड़न के मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने माना कि पति के व्यवहार को सुधारने के लिए पत्नी द्वारा पति और ससुराल वालों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराना क्रूरता है। अदालत ने पारिवारिक न्यायालय के पति के पक्ष में दिए फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की पीठ ने पत्नी की याचिका पर पारिवारिक न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि पति के व्यवहार को सुधारने के लिए पत्नी द्वारा उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराना वैवाहिक जोड़े के बीच रिश्ता सौहार्दपूर्ण संबंधों में जगह नहीं पाएगा और यह क्रूरता के बराबर होगा। पीठ ने माना कि पारिवारिक न्यायालय ने अपने फैसले में जोड़े को तलाक देते समय इस तथ्य पर ध्यान दिया कि पत्नी ने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया था, जिससे उन्हें मानसिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ा।

पीठ ने कहा कि पति या पत्नी ने विवाह की पवित्रता को बनाए रखने के लिए सभी दलीलों को खो दिया है। यह क्रूरता के दायरे में आता है, जो हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13(1) के तहत तलाक का आधार हो सकता है। क्रूरता के आधार पर पति को तलाक का अधिकार है। इसलिए पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणियों में सही कहा कि पति द्वारा क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए एक मजबूत मामला बनाया गया था, जिसे उसके द्वारा दायर विवाह याचिका को रद्द किया जा सके।

Created On :   12 Jan 2025 10:19 PM IST

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