अदालत: 1993 में न्यू बॉम्बे बेकरी सांप्रदायिक दंगों का आरोपी फेरीवाला 31 साल बाद बरी

1993 में न्यू बॉम्बे बेकरी सांप्रदायिक दंगों का आरोपी फेरीवाला 31 साल बाद बरी
  • अदालत ने सबूतों के अभाव में आरोपी हरीश चंद्र नाडर को किया बरी
  • सिपाही समेत पीड़ित के बयान से नहीं साबित हुआ आरोप

डिजिटल डेस्क, मुंबई. सेशन कोर्ट ने 1993 के मुंबई सांप्रदायिक दंगों के दौरान न्यू बॉम्बे बेकरी और भांडुप में एक घर में आग लगाने वाली भीड़ का हिस्सा होने के आरोपी 55 वर्षीय फेरीवाले हरीश चंद्र नाडर को पर 31 साल बाद बरी कर दिया। अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी किया है। इस साल 16 जनवरी को आरोपी हरीश चंद्र नाडर को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

न्यायाधीश ने कहा कि इन दोनों गवाहों की गवाही से आरोपियों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इन दोनों गवाहों ने यह खुलासा नहीं किया कि आरोपी को इस अपराध में कैसे फंसाया गया? इसलिए यह साबित नहीं होता है कि आरोपी नाडर दंगे के लिए एकत्रित गैरकानूनी सभा का हिस्सा था और उसने बेकरी में आग लगा दी थी। अभियुक्तों (आरोपी) पर दोष सिद्ध करने के लिए अभियोजन पक्ष ने केवल दो गवाहों के बयान दर्ज किए थे। शिकायतकर्ता सिपाही ने शिकायत की विषय को दोहराया और कहा था कि जब वह मौके पर पहुंचा, तो उसने बेकरी को जलते हुए देखा था।

भीड़ में 30-40 लोग थे, जो उन्हें और पुलिस दस्ते को देखकर तितर-बितर हो गए थे। उन्होंने उन लोगों का पीछा किया, लेकिन वे भागने में सफल रहे थे। अभियोजन पक्ष का दूसरा गवाह वह व्यक्ति था, जिसका घर दंगे में जला दिया गया था। उन्होंने बताया कि उनका घर बेकरी के ही परिसर में है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक दंगों के कारण वह अपने गांव चले गये थे. उनके दोस्त ने फोन करके बताया कि दंगे में उनका घर जला दिया गया है. उसने आकर देखा कि उसका घर जल गया है और उसमें रखा सारा सामान नष्ट हो गया है।

अभियोजन पक्ष का आरोप था कि 12 जनवरी 1993 को एक सिपाही भांडुप इलाके में गश्त कर रहा था। उसे पता चला कि सुबह करीब 10.50 बजे कुछ लोग दंगा और आगजनी करने के लिए इकट्ठा हुए थे. गश्त कर रहे पुलिसकर्मी उस स्थान पर पहुंचे, वहां न्यू बॉम्बे बेकरी से धुआं निकलता देखा गया और वहां मौजूद भीड़ भागने लगा थी। पुलिसकर्मी ने उनका पीछा किया गया, लेकिन पकड़े नहीं जा सके। भांडुप पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई था।

जांच पूरी होने के बाद नाडर समेत चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था. दो आरोपी आनंद कुमार नाडर और शशि तियार अभी भी फरार हैं। चौथे आरोपी के खिलाफ मुकदमा अलग कर दिया गया, लेकिन सबूतों के अभाव में 2001 में उन्हें भी बरी कर दिया गया था

Created On :   7 April 2024 9:15 PM IST

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