मोबाइल टावर से हानिकारक विकिरण की आशंका निराधार

मोबाइल टावर से हानिकारक विकिरण की आशंका निराधार
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने मोबाइल टावर के निर्माण पर रोक लगाने वाले पंचायत के प्रस्ताव को किया रद्द
  • सांगली जिले के चिखलहोल ग्रामपंचायत द्वारा मोबाइल टावर के निर्माण पर लगाया था प्रतिबंधित

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मोबाइल टावर से हानिकारक विकिरण की आशंका निराधार बताते हुए मोबाइल टावर के निर्माण पर रोक लगाने वाले पंचायत के प्रस्ताव को रद्द कर दिया। सांगली जिले के चिखलहोल ग्रामपंचायत द्वारा मोबाइल टावर के निर्माण पर प्रतिबंधित लगाया था।

न्यायमूर्ति सुनील बी.शुक्रे और न्यायमूर्ति राजेश एस.पाटित की खंडपीठ के समक्ष इंडस टावर्स लिमिटेड की याचिका सुनवाई के लिए आई। खंडपीठ ने कहा कि ग्रामपंचायत के पास इस तरह का प्रस्ताव पास करने का अधिकार नहीं है। बीजू के. बालन और अन्य के मामले में विकिरण के बारे में आशंका को पहले ही खारिज कर दिया गया है। मोबाइल टावर की स्थापना पर प्रतिबंध लगाने वाला कोई वैज्ञानिक सामग्री या डेटा नहीं है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत क्षेत्राधिकार का प्रयोग उन आशंकाओं के आधार पर नहीं किया जा सकता है, जो तथ्यों में निहित नहीं हैं और जो विश्वसनीय वैज्ञानिक सामग्री द्वारा समर्थित नहीं हैं।

खंडपीठ ने यह भी देखा कि निर्णय सुनाए जाने की तारीख तक कोई वैज्ञानिक सामग्री नहीं थी, जो ऐसे विकिरणों के कारण गंभीर नुकसान के किसी भी पहचाने जाने योग्य जोखिम का संकेत देती हो।

याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील ए.वी.अंतूरकर ने याचिका में ग्रामपंचायत द्वारा पारित संकल्प संख्या 7 के खिलाफ राहत की मांग की थी, जिसमें मोबाइल टावर पर आगे के काम को रोकने का निर्देश दिया गया था। ग्राम पंचायत को कई मौकों पर नोटिस दिया गया था, लेकिन वे अदालत के सामने पेश होने में विफल रहे। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें अपनी दलीलें पेश करने के लिए पर्याप्त अवसर दिए गए हैं।

अदालत के सामने सवाल यह था कि क्या ग्रामपंचायत के पास टावर के विकिरण से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में कुछ ग्रामीणों की आपत्तियों के आधार पर मोबाइल टावर के निर्माण को रोकने का प्रस्ताव जारी करने का अधिकार था।

अदालत ने कहा कि बालन जिसने मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण के हानिकारक और कैंसरकारी प्रभाव होने की आशंका के आधार पर आक्षेपित प्रस्ताव संकल्प संख्या 7 पारित किया है। वह किसी भी वैज्ञानिक सामग्री पर आधारित नहीं है।

Created On :   26 July 2023 6:49 PM IST

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